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पूर्वोत्तर की 25 सीट : कांग्रेस के खिलाफ भाजपा के लिए करो या मरो की स्थिति

अगरतला/गुवाहाटी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में कम से कम 25 लोकसभा सीटें जीतना करो या मरो की स्थिति है। कांग्रेस पार्टी भी इस क्षेत्र में अपनी खोई जमीन फिर पाने के प्रयास में जुट गई है। पूर्वोत्तर के कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चूंकि क्षेत्र के आठ राज्यों में या तो भाजपा का शासन है या इसके सहयोगियों का, ऐसे में भगवा पार्टी को इसका फायदा मिलेगा। हालांकि, अन्य राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को लेकर कड़ा रुख भाजपा की लक्षित सीट संख्या जीतने की राह में मुश्किल पैदा कर सकता है।

साल 2011 की जनगणना के अनुसार पूर्वोत्तर क्षेत्र 4.55 करोड़ लोगों का घर है। असम की 14 सीटों के लिए 11, 18 और 23 अप्रैल को तीन चरणों में मतदान होगा। मणिपुर और त्रिपुरा प्रत्येक में दो-दो सीटे हैं, और यहां दो चरणों में 11 अप्रैल और 18 अप्रैल को मतदान होगा। मेघालय (दो सीटें), नागालैंड (एक), अरुणाचल प्रदेश (दो), मिजोरम (एक) और सिक्किम (एक) में 11 अप्रैल को मतदान होंगे।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगियों ने एक साथ मिलकर 11 सीटें जीती थी, जिसमें भाजपा को आठ सीटें मिली थीं। राजग के सहयोगियों में नागा पीपुल्स फ्रंट (एक सीट), मेघालय पीपुल्स पार्टी (एक सीट) व सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एक सीट) शामिल हैं। भाजपा ने असम में सात सीटें व अरुणाचल प्रदेश में एक सीट जीती थी। कांग्रेस का 1952 से पूर्वोत्तर मजबूत गढ़ रहा है।

वह 2014 में आठ सीटें जीतने में कामयाब रही थी। कांग्रेस ने असम में तीन, मणिपुर में दो व अरुणाचल प्रदेश, मेघालय व मिजोरम प्रत्येक में एक-एक सीट पर विजय हासिल की थी। पांच साल पहले असम के ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने तीन सीटें, जबकि माकर््सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने त्रिपुरा में दो सीटें हासिल की थी। असम के कोकराझार निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार नबा कुमार सरानिया (हीरा) विजयी रहे थे।

राजनीतिक विश्लेषक समुद्र गुप्ता कश्यप का मानना है कि पूर्वोत्तर का परिदृश्य भाजपा व उसके सहयोगियों के पक्ष में ज्यादा है। उन्होंने कहा, हालांकि, नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 ने भाजपा की समग्र छवि पर कुछ नकारात्मक प्रभाव डाला है। असम गण परिषद (एजीपी) ने दो महीने पहले विधेयक को लेकर भाजपा की अगुवाई वाला गठबंधन छोड़ दिया है। इस विधेयक से कुछ नुकसान हो सकता है।

कश्यप ने आईएएनएस से कहा, यही कारण है कि भाजपा ने क्षेत्रीय पार्टी के साथ अपने रास्ते फिर से खोले हैं। नागरिकता मुद्दे की वजह से समर्थकों में आई कमी को रोकने के लिए भाजपा को कुछ कार्य करने होंगे। उन्होंने कहा कि नेफियू रियो की नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (नागालैंड में), जोरामथंगा की मिजो नेशनल फ्रंट (मिजोरम में) ने स्पष्ट तौर पर नागालैंड व मिजोरम में भगवा पार्टी के लिए एक भी सीट नहीं छोडऩे की बात कही है।

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Web Title-Lok Sabha Election 2019 : BJP to face tough challenge from Congress in 25 north east seats
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