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गुवाहाटी फिर रंगेगा साहित्य और कला के उत्सव में : प्राग्ज्योतिषपुर साहित्य महोत्सव 2025 का ऐलान

Guwahati to once again be a festival of literature and art : Pragjyotishpur Literary Festival 2025 announced - Guwahati News in Hindi

नव ठाकुरिया गुवाहाटी। पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक राजधानी गुवाहाटी एक बार फिर साहित्य, कला और बौद्धिक संवाद के रंगों से सराबोर होने जा रही है। प्राग्ज्योतिषपुर साहित्य महोत्सव (पीएलएफ) का तीसरा संस्करण 14 से 16 नवंबर 2025 को भव्य रूप से आयोजित होगा। यह तीन दिवसीय पर्व केवल एक साहित्यिक आयोजन नहीं, बल्कि असम और प्राग्ज्योतिषपुर—कामरूप–कामाख्या सभ्यता की उस गौरवशाली विरासत का उत्सव है, जिसने सदियों से भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं को समृद्ध किया है। भारत के ज्ञान–समुद्र में अपनी जड़ों को खोजने का प्रयास कर रहा यह महोत्सव शंकरदेव शिक्षा एवं अनुसंधान प्रतिष्ठान द्वारा ‘जड़ों की खोज’ विषय पर आयोजित किया जा रहा है। यहां पूरे देश से लेखक, आलोचक, कलाकार, अनुवादक और पाठक एक मंच पर आएंगे, जहां विचारों, भाषाओं और कलाओं की विविधता एक जीवंत उत्सव का रूप लेगी।
साहित्य, संवाद और परंपरा का संगम
तीन दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में पैनल चर्चाएँ, संवादात्मक वार्ताएँ, प्रकृति लेखन की कार्यशालाएँ, बहुभाषी कविता पाठ और असमिया कला–परंपराओं पर आधारित विशिष्ट सत्र शामिल होंगे। आयोजन समिति के अनुसार, इस बार का फोकस ‘असम की सांस्कृतिक आत्मा’ को नए दृष्टिकोण से सामने लाना है।
महोत्सव में इस वर्ष पांच प्रमुख विषयगत चर्चाएँ आयोजित की जाएंगी, जो असमिया साहित्य और कलाओं के ऐतिहासिक विस्तार और वर्तमान दिशा को रेखांकित करेंगी—
1. असमिया प्रदर्शन कलाओं का विकास: अंकिया भावना से भ्रम्यमान तक
असम के मंचीय इतिहास और परंपरागत अभिनय शैलियों पर आधारित यह सत्र परंपरा और आधुनिकता के संगम को सामने रखेगा।
2. असमिया गीत साहित्य: 1990 के दशक से समकालीन दौर तक की यात्रा
असमिया संगीत-साहित्य में हुए बड़े बदलावों और नए प्रयोगों पर एक गहन और रोचक विमर्श।
3. असमिया भाषा, साहित्य और पत्रकारिता: विकास और विस्तार
भाषा और पत्रकारिता के अंतर्संबंधों, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर केंद्रित परिचर्चा।
4. अनुवादित साहित्य: भाषा की सीमाओं से परे
असमिया साहित्य के वैश्विक विस्तार और अनुवाद के माध्यम से नए पाठक वर्गों तक पहुंच बनाने की यात्रा पर एक विचारपूर्ण सत्र।
5. बीरेंद्र कुमार भट्टाचार्य का रचनात्मक जगत: एक खोजपूर्ण यात्रा
साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता उपन्यासकार भट्टाचार्य के योगदान को समझने का प्रयास।
कलागुरु राभा को समर्पित विशेष सत्र
असम के सांस्कृतिक इतिहास की आत्मा कहे जाने वाले कलागुरु बिष्णु प्रसाद राभा की स्मृति में एक विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा। उनकी कला, संगीत, समाज-सुधार और सांस्कृतिक चेतना को लेकर नए दृष्टिकोण सामने आएंगे।
खुले आसमान के नीचे बहुभाषी कविता का संगम
महोत्सव की सबसे आकर्षक प्रस्तुतियों में से एक होगा ‘ओपन-एयर मल्टीलिंगुअल पोएट्री सेशन,’ जिसमें असमिया के साथ-साथ संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, बोडो, कार्बी, मिशिंग, नेपाली, बंगाली, राभा और तिवा भाषाओं के कवि अपनी कविताओं के माध्यम से विविध सांस्कृतिक स्वरों को एक मंच पर लाएँगे।यह सत्र उत्तर–पूर्व की बहुरंगी पहचान को अपनी पूर्ण गरिमा के साथ स्थापित करने वाला होगा।
अपनी जड़ों से जुड़ने का संकल्प
पीएलएफ के अध्यक्ष फणींद्र कुमार देव चौधरी के अनुसार, यह साहित्य महोत्सव केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि “अपनी सभ्यता, भाषा और इतिहास से दोबारा जुड़ने की एक सांस्कृतिक यात्रा” है।वे कहते हैं—“आज कई शिक्षित लोग अपनी विरासत को कम महत्व देते हैं और पश्चिमी चश्मे से साहित्य को आंकते हैं। यही कारण है कि हमारी प्राचीन सभ्यताओं की शांति, गरिमा और परिष्कार की भावना धुंधली होती जा रही है। पीएलएफ इस चेतना को फिर से जगाने का प्रयास है।”
उनकी उम्मीद है कि पीएलएफ 2025 कामरूप–कामाख्या सभ्यता की विरासत को पुनर्परिभाषित करेगा और नई पीढ़ी के लिए अपनी सांस्कृतिक जड़ों को समझने और अपनाने का प्रेरक मंच बनेगा।
गुवाहाटी में नवंबर का यह साहित्य–महोत्सव सिर्फ शब्दों का उत्सव नहीं, बल्कि एक सभ्यता का जीवंत पुनरागमन है। विचारों की विविधता, भाषाओं की समृद्धि और कला की परंपराओं का यह संगम न सिर्फ असम, बल्कि पूरे देश के साहित्यिक परिदृश्य में एक नई ऊर्जा का संचार करेगा।

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Web Title-Guwahati to once again be a festival of literature and art : Pragjyotishpur Literary Festival 2025 announced
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