गुवाहाटी। देश के सबसे पुराने और सबसे सुशोभित अर्धसैनिक बल असम राइफल्स ने शुक्रवार को शिलांग के लैटकोर गैरीसन और पूर्वोत्तर तथा जम्मू और कश्मीर में इसके विभिन्न फॉर्मेशन और इकाइयों में अपना 188वां स्थापना दिवस मनाया। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 24 मार्च, 1835 को स्थापित इस बल ने देश की सेवा की है और पूर्वोत्तर राज्यों में शांति लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस वर्ष स्थापना दिवस के समारोह में केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर, डीजी असम राइफल्स के साथ शामिल हुए थे, और बल के सभी रैंकों ने उन बहादुरों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने पिछले 188 वर्षों में सर्वोच्च बलिदान दिया है।
रेड्डी ने विशेष सैनिक सम्मेलन में बल के सभी रैंकों को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने पूर्वोत्तर और कश्मीर में उग्रवाद से लड़ने में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उनकी सराहना की। फोर्स ने 2022-23 में ऑपरेशंस में अपनी ताकत साबित करना जारी रखा है। इस अवधि के दौरान, तीन बटालियनों ने थल सेनाध्यक्ष यूनिट प्रशस्ति पत्र प्राप्त किया और पांच बटालियनों ने जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ यूनिट प्रशस्ति पत्र प्राप्त किया।
आधिकारिक बयान में कहा गया- इसके अलावा, बल के कर्मियों को एक शौर्य चक्र, सात सेना पदक, 411 राष्ट्रपति और राज्यपाल पदक से सम्मानित किया गया। बल ने पिछले एक साल में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीतकर खेलों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
आधिकारिक बयान में आगे कहा गया है, हर बीतते साल के साथ, असम राइफल्स पूर्वोत्तर के लोगों के बीच मजबूती से खड़ा है। जैसे-जैसे यह क्षेत्र विकास और समृद्धि की ओर बढ़ रहा है, बल स्थानीय लोगों के बीच सुरक्षा की भावना और बढ़ा रहा है।
--आईएएनएस
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