ईटानगर । म्यांमार स्थित उग्रवादी
संगठन एनएससीएन (के-वाईए) ने असम और बिहार के रहने वाले दो निर्माण
श्रमिकों को अरुणाचल प्रदेश के लोंगडिंग जिले से अगवा करने के 12 दिन बाद
रिहा कर दिया। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने कहा कि एनएससीएन-के के युंग आंग गुट के प्रतिबंधित संगठन ने
शनिवार रात भारत-म्यांमार सीमा पर दो बंदियों - असम के हिरेन कोंच और बिहार
के रामाशीष महतो को रिहा कर दिया। लोंगडिंग जिले के पुलिस अधीक्षक विक्रम
हरिमोहन मीणा ने कहा कि पुलिस ने जबरदस्त प्रयास करने के बाद दोनों को
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उन्होंने कहा कि दोनों श्रमिक स्वस्थ दिख रहे हैं, लेकिन उनका मेडिकल चेकअप किया जा रहा है।
पुलिस
अधिकारियों ने बताया कि बनफुआ वांगपन, हिरेन कोंच और रामाशिस महतो
लोंगडिंग जिले में पुमाओ-लंगखो रोड के निर्माण में लगे हुए थे और निर्माण
स्थल के पास एक शिविर में रह रहे थे, जहां से 31 जनवरी को आतंकवादियों ने
उनका अपहरण कर लिया था।
पुलिस ने कहा कि तीन बंदियों में से एक -
बनफुआ वांगपन को अगले दिन रिहा कर दिया गया और दो अन्य एनएससीएन (के-वाईए)
के ठिकाने में थे। पुलिस को शक था कि अपहरण के पीछे फिरौती की मंशा थी।
आतंकियों ने कथित तौर पर फिरौती के तौर पर चार करोड़ रुपये मांगे थे।
एनएससीएन-के
(युंग आंग) म्यांमार में स्थित है और पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के कुछ जिलों
में गैरकानूनी गतिविधियां कर रहा है और यह संगठन भारत सरकार के साथ चल रही
शांति वार्ता के दायरे से बाहर केवल नगा उग्रवादी समूह है।
ग्रामीणों
ने पुलिस को बताया कि एनएससीएन (के-वाईए) के कार्यकर्ता पिछले कई महीनों
से कारोबारियों से रंगदारी वसूल रहे हैं। इससे पहले उग्रवादियों ने अरुणाचल
प्रदेश में निर्माण श्रमिकों सहित कई लोगों का अपहरण कर लिया था, लेकिन
बाद में छापामारों ने फिरौती लेकर उन्हें छोड़ दिया।
अरुणाचल प्रदेश म्यांमार के साथ 520 किलोमीटर की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है।
--आईएएनएस
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