हैदराबाद। तेलंगाना में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मिले अभूतपूर्व बहुमत और विपक्षी दलों का मनोबल गिरने से तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को स्पष्ट फायदा मिलता दिख रहा है। पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में विरोधियों का पूरी तरह सफाया करने का लक्ष्य रखा है। अगले महीने प्रदेश की 17 लोकसभा सीटों के लिए मतदान होगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सत्ताधारी पार्टी 'मिशन-16' के साथ काम कर रही है जबकि उसके साथ दोस्ताना संबंध रखने वाली पार्टी मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) अपने गढ़ हैदराबाद में अपना दबदबा कायम रखना चाहती है। कांग्रेस अपने विधायकों के पलायन से घबराई हुई है और उसे टीआरएस को चुनौती देने में मशक्कत करनी पड़ रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की संभावना भी बहुत कम दिख रही है।
टीआरएस लोगों से सभी सीटों पर विजय दिलाने की अपील कर रही है ताकि वह केंद्र में अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेस सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा सके। मुख्यमंत्री और टीआरएस अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका चाहते हैं और वह अपने पुत्र व टीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामाराव के साथ पार्टी के चुनाव अभियान की अगुवाई कर रहे हैं।
रामाराव ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "हालिया विधानसभा चुनाव में हमें 47 फीसदी मत मिले और हमने 75 फीसदी सीटों पर जीत दर्ज की। हमने अपने किए वादे को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लोगों का कांग्रेस और भाजपा से भ्रम टूट गया है। मेरा मानना है कि तेलंगाना चट्टानी मजबूती के साथ केसीआर जी के साथ खड़ा रहेगा।"
दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में टीआरएस ने अपने प्रदर्शन, खासतौर से पिछले साढ़े चार साल में लागू की गई कल्याणकारी योजनाओं के अधार पर लोगों से बहुमत मांगा था। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) समेत कांगेस द्वारा चार दलों का मोर्चा बनाने के बावजूद टीआरएस को भारी बहुमत मिला और प्रदेश की 119 विधानसभा सीटों में से 88 पर पार्टी ने जीत का परचम लहराया।
कांग्रेस के नौ विधायकों के इस महीने टीआरएस में शामिल होने के बाद सत्ताधारी पार्टी के कुल 100 विधायक हो गए हैं। तेदेपा का भी एक विधायक टीआरएस में शामिल हुआ है जबकि दो निर्दलीय पहले से ही पार्टी के साथ आ चुके हैं।
लोकसभा चुनाव 2014 में टीआरएस को 11 सीटों पर जीत मिली थी जबकि कांग्रेस के खाते में दो और तेदेपा, वाईएसआर कांग्रेस, भाजपा और एमआईएम के खाते में एक-एक सीट गई थीं।
विधानसभा चुनाव से पहले टीआरएस के एक सांसद विश्वेश्वर रेड्डी कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वह फिर कांग्रेस के टिकट पर चेवेला से चुनाव मैदान में हैं। टीआरएस ने चार वर्तमान सांसदों को टिकट नहीं दिया है और पार्टी की खास नजर सिकंदराबाद और खम्मन समेत चार संसदीय क्षेत्रों पर है जहां वह कभी जीत नहीं पाई है।
2014 में के विधानसभा चुनाव में तेदेपा-भाजपा को संयुक्त रूप से 24 में से 14 सीटों समेत सिकंदराबाद और मलकाजगिरि लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी। उसके बाद टीआरएस ने गेट्रर हैदराबाद में भारी दबदबा बनाया और 2016 में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम में अजेय बहुमत हासिल किया। हालिया विधानसभा चुनाव में टीआरएस ने 24 में से 14 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि एमआईएम के खाते में सात सीटें गईं।
(आईएएनएस)
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