रिश्ता . . . एक ऐसा शब्द जिसे कभी कोई परिभाषित नहीं कर सकता। रिश्ता सिर्फ खून का ही नहीं होता है। रिश्ता कई प्रकार का हो सकता है। किसी भी रिश्ते को निभाना आसान नहीं होता। चाहे वह करीब का हो, दूर का हो या फिर प्रेमी प्रेमिका का हो। बचपन से सुनते आए हैं कि रिश्तों की डोर नाजुक होती है, एक बार यह टूट जाए तो फिर जुडऩा मुश्किल होता है। इस बात का अहसास जिन्दगी के 50 साल गुजर जाने के बाद हुआ। जब मैं स्वयं अपने भाई-बहनों, ससुराल यहाँ तक कि अपनी पत्नी से अपना रिश्ता नहीं निभा सका। पिछले 8 साल से एकाकी जीवन बिताते हुए परेशान हो गया हूँ। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने रिश्तों को अच्छी तरह से निभाएं और संभालें। यह बात लौंग डिसटेन्स रिलेशनशिप में और भी ज्यादा जरूरी हो जाती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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