बच्चे को डांटें-फटकारें नहीं, दूसरों से तुलना न करें ये भी पढ़ें - बुजुर्गो में बढ़ती जाती है ये इच्छा
छोटा
बच्चा माता-पिता से हर बात शेयर करता है, लेकिन अक्सर हम माता-पिता उसे
झिडक़कर या डांटकर चुप करा देते हैं। नतीजतन बच्चा हमसे बातें छुपाने लगता
है। धीरे-धीरे वह दूरी बनाना शुरू कर देता है। कई बार यह देखा जाता है कि
हम अपने बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से करने लगते हैं, जो सही नहीं है। हर
बच्चे की क्षमता और सामथ्र्य अलग-अलग होती है। माता-पिता को ध्यान रखना
चाहिए कि ज्यादा तारीफ और ज्यादा आलोचना दोनों ही बच्चे के लिए ठीक नहीं
हैं। माता-पिता का यह कत्र्तव्य है कि उनमें जितनी योग्यता और क्षमता है,
उसे निखारने में उनकी मदद करें। उन्हें एहसास कराएं कि वे हर पल उनके साथ
हैं।
असीमित उम्मीदें, अधूरी इच्छाओं को पूरा करने का जरिया
जैसे-जैसे
बच्चे बड़े होने लगते हैं, माता-पिता की उम्मीदें भी बढऩे लगती हैं। ऐसे
में अक्सर वे अपनी अधूरी इच्छाओं को बच्चों के जरिये पूरा करना चाहते हैं।
बच्चे जब उन उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाते हैं, तो वे अपने और माता-पिता
के बीच दूरी बनाने लगते हैं। यहीं से शुरू होता है संवादहीनता का सिलसिला।
अगर आपका बच्चा भी चुप रहने लगे, तो आप उससे कोई उम्मीद न करें, बल्कि उस
दूरी को कम करने की कोशिश करें।
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