कहने वाले प्यार को जादू, दर्द, नशा या फिर एक रूमानी एहसास कहते हैं पर सच
बात तो यही है कि है कि दुनिया का कोई भी रिश्ता प्यार के बिना अधूरा होता
है। इसलिए जरूरी है कि प्यार के इस बेहद खुशनुमा एहसास को दिल से महसूस
किया जाए और जाना जाए कि आखिर ये प्यार है क्या! और इसका हमारी लाइफ व
दिमाग पर क्या प्रभाव पडता है।
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किसी से अचानक प्यार हो जाना और हमेशा उसमें खोए रहना यह सब अपने आप से
नहीं होता औन ना ही दिल से, बल्कि यह प्रकृति की सरंचना है।
हमारे मस्तिष्क में होने वाली कुछ रासायनिक क्रियाएं तथा जीन सम्बन्धी
संरचनाएं और विषेशताएं ही प्यार हो जाने का प्रमुख आधार होती है, क्योंकि
इस दौरान व्यक्ति के बौडी में जैव रासायनिक समीकरण जन्म लेते हैं और यह
अभिक्रिया उसे प्रकृति के मकसद को पूरा करने की दिशा की ओर ले जाती है और
इन्हीं की बदौलत प्यार और उसकी गहराई तय होती है।
प्यार तीन रूपों में आता है और हर रूप के पीछे अलग-अलग हार्मोन जुडे होते
हैं।
यह दरअसल वासना होती है, जो सैन्स हार्माेन टेस्टोस्टीरॉन और ऑस्ट्रोजन से
उत्पन्न होती है। टेस्टोस्टीरॉन सिर्फ पुरूषों में ही नहीं उत्पन्न होता,
यह महिलाओं में भी उतनी ही सक्रिय होता है।
यहां से प्यार होने की शुरूआत हो जाती हैजब लोग प्यार मेंपडते हैं तो
उन्हें दूसरा कुछ नहीं सूझता, उनकी भूख-प्यास खत्म हो जाती है नींद उड जाती
है और हर वक्त अपने प्रेमी के बारे में साचने में बिता देते हैं।
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