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मुश्किल है सिंगल मदर की भूमिका निभाना, बच्चे के लिए बदलना पड़ता है स्वयं को

It is difficult to play the role of a single mother, the child has to change himself - Relationship

आधुनिकता की अंधी दौड़ में बह रहे युवाओं में तलाक एक आम बात हो गई है। आपसी तकरार और टकराव का अन्त तलाक के रूप में सामने आता है। इसमें निश्चित रूप से हार महिला की होती है, क्योंकि उस पर अपने बच्चे की जिम्मेदारी भी आ जाती है। तलाक के 90 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में महिलाएँ बच्चों की परवरिश का जिम्मा उठाती हैं। इस मामले में कोर्ट भी उनकी मदद करती है। यह माना जाता है कि पुरुष के बनस्पति महिला बच्चों की परवरिश अच्छे तरीके से कर सकती है। सिंगल मदर आज के वक्त में बहुत आम बात है जहां महिला के कंधों पर बच्चे की सिर्फ भावनात्मक ही नहीं आर्थिक जिम्मेदारी भी आती है। सिंगल मदर होना चुनौतियों से भरा काम होता है क्योंकि उनके कंधों पर मां और बाप दोनों की जिम्मेदारी होती है। हालांकि थोड़ी सी समझदारी और जागरूकता से काम लिया जाए तो आप एक बेहतरीन मां बन सकती हैं। आज हम अपने पाठकों को कुछ ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें सिंगल मदर अपने जहन में रखे तो वे बच्चों के लिए एक अच्छी माँ व साथी बन सकती हैं।
आइए डालते हैं एक नजर—

बनाएं बॉन्डिंग
सिंगल मदर को अपने बच्चे को मां और बाप दोनों का प्यार देना होता है। ऐसे में आपकी अपने बच्चे के साथ बॉन्डिंग होनी जरूरी है। बच्चे के साथ बॉन्डिंग बनाने के लिए उसे खूब सारा प्यार करें, उससे बातें करें, खेलें और हो सके तो उससे दोस्त जैसा रिश्ता बनाने की कोशिश करें। जिससे वह अपने मन की हर बात बेझिझक आपसे कह सके।

सकारात्मक रखें सोच
सिंगल मदर होने के कारण आपके पास दोहरी जिम्मेदारी होती है ऐसे में आपको हमेशा अपनी सोच को सकारात्मक रखना चाहिए। आपका ऑफिस में दिन चाहे कितना भी बुरा क्यों न बीते, गुस्सा आए लेकिन आपको हमेशा ही शांत और सकारात्मक रहना है। क्योंकि जब आप शाम को बच्चे के वापस आएंगे तो आपको उन्हें पूरा समय देना है। सिंगल मदर होने के नाते आपको हमेशा ये बात याद रखनी चाहिए कि आपके और बच्चे के बीच कोई तीसरा शख्स नहीं आएगा।

मन में भर दें विश्वास
अपने बच्चे को कभी बेचारा महसूस न होने दें और न ही बात-बात में आज तेरे पापा होते तो या भूल कर भी बिन बाप की औलाद ऐसी ही होती हैं जैसे जुमलों का इस्तेमाल न करें। अपने बच्चे के मन में विश्वास भर दें कि वे दूसरे बच्चों से किसी भी तरह से कम नहीं हैं। दूसरा व्यक्ति भी उसे हीन महसूस करवाने की कोशिश करे, तो दृढ़तापूर्वक कह दें कि हम जैसे हैं, बिल्कुल ठीक हैं और जीवन का आनंद उठा रहे हैं।

नियम और सीमाएं स्थापित करें
ज्वाइंट पेरेंटिंग प्लान के दौरान, यह भूलना आसान है कि आप वयस्क हैं और वे बच्चे हैं। समानांतर पेरेंटिंग के लिए सबसे अच्छा रास्ता अपने बच्चों और इसमें शामिल एक्स पार्टनर के लिए नियम और सीमाएं स्थापित करना है। आपको ऐसे नियम और दिशा निर्देश बनाने होंगे, जो सभी को स्वीकार्य हों। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे आपके बच्चों के लिए जीवन आसान और सुविधाजनक हो जाएगा। यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि आप अपने बच्चों से किस तरह के व्यवहार की अपेक्षा करती हैं और किस तरह के व्यवहार की अपेक्षा आप अपने एक्स पार्टनर से चाहती हैं या कोई भी व्यक्ति जो उनके जीवन में शामिल है।

जवाब देना सिखाएं
अक्सर सिंगल मॉम लोगों के क्रूर और अनचाहे सवालों से अपनी संतान को बचाने में खुद को असहाय पाती हैं। दूसरे बच्चे जब पूछते हैं कि तुम्हारे पिता कहां हैं या तुम्हारे पापा तुम्हारे साथ क्यों नहीं रहते या स्कूल के फंक्शन्स में या पैरेंट-टीचर मीटिंग में वे क्यों नहीं आते, तो ऐसे में बच्चे असहज हो उठते हैं। अगर सिंगल मॉम शुरू से ही बच्चों को कहानी-किस्सों या उदाहरण के माध्यम से स्थिति स्पष्ट कर दें तो बच्चों के लिए ऐसे सवालों का जवाब देना आसान हो जाएगा। बच्चा खुद को कॉन्फिडेंट महसूस करने लगता है।

ना कहना है जरूरी
ये बात तो जग जाहिर है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा भावुक होती हैं। सिंगल मांओं के लिए भी यही सबसे बड़ी दिक्कत है। बच्चे की जिद्द के कारण सिंगल मां उन्हें न नहीं कह पाती है। इसका सबसे बड़ा साइड इफेक्ट ये होता है कि बच्चे की जिद्द बढ़ जाती है। इतना ही नहीं कई बार बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए रो देते हैं और मां उन्हें मनाने के लिए भी हां कह देती है। इस स्थिति में कई बार न चाहते हुए सिंगल मदर को अपने बच्चे की जिद्द माननी पड़ती है। इसलिए बच्चे की गलत बातों पर न करना बहुत जरूरी होता है।

बच्चे को वक्त दें
सिंगल मदर होने के नाते आपके पास माता-पिता दोनों की जिम्मेदारियां है। ऐसे में आपको उन्हें वक्त देना जरूरी है। अगर ऑफिस के काम में बहुत ज्यादा बिजी हैं, इसके बावजूद बच्चा जरूरत पडऩे पर आपको बुलाता है तो उस वक्त मौजूद रहें। इससे आपके और बच्चे के बीच प्यार का एहसास बढ़ेगा। इमोशनल फीलिंग्स में बच्चा न सिर्फ आपकी बातों को मानेगा बल्कि अनुशासन बढ़ाने की भी कोशिश करेगा, ताकि लोग उसकी मॉम की तारीफ करें।

टाइम मेनेजमेंट सिखाएं
किसी शख्स ने कहा कि जिसने कई डिग्रियां हासिल कर लीं, लेकिन टाइम मैनेजमेंट नहीं सीखा उसने जीवन में कुछ नहीं किया। बच्चे का स्कूल, ट्यूशन, खाना-पीना और खेलने का वक्त तय करें। बच्चे को समझाएं कि वक्त के अनुसार चीजें करने से ही भविष्य बेहतर बनेगा।

यह लेखक के अपने निजी विचार हैं जरूरी नहीं कि आप इन विचारों से सहमत हों।

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