दोस्ती का रिश्ता एक ऎसा रिश्ता है जो खून कान होते हुए भी बहुत करीब का
होता है। यहां पर दुराव-छिपास नहीं होता, दिल खोल कर सुख-दुख की बातें होती
हैं। यही रिश्ता अगर पति पत्नी अपने बीच भी कायम कर लें तो उनका दांपत्य
सुखपूर्वक गुजरेगा। लेकिन ऎसे दंपत्ति बहुत कम मिलेंगे जो सच्चे दोस्तों की
तरह रहते हों वरना शादी के कुछ साल बाद ही उनका रिश्ता इतना मैकेनिकल और
उबाऊ हो जाता है कि खुशी की तलाश में वे कभी-कभी विवाहेत्तर संबंधों के जाल
में भी फंस जाते हैं।
अगर पति-पत्नी एक-दूसरे को प्यार करते हैं तो उन्हें एक-दूसरे के हर रूप को
अपनाना होगा। लेकिन यहां बस यह ध्यान जरूर रहे कि इस स्वीकारने का अधिक
फायदा न उठाया जाए। जिस तरह घोडे को लगाम से साधा जाता है जबान को भी लगाम
द्वारा साधा जाना चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दांपत्य जीवन में प्यार का अर्थ बहुत व्यापक हो जाता है। सारे रिश्ते जैसे
प्रिय के व्यक्तित्व में समाहित होते हैं। उनमें हजार नेमतों के बराबर
रिश्ता होता है, जिगरी दोस्त का, जिसमें कमिटमेंट्स को मुद्दा बनाने की
गलती कभी नहीं होनी चाहिए। इस दोस्ती की नींव होनी चाहिए- आदर, इज्जत
सम्मान एक-दूसरे के व्यक्तित्व का एक-दूसरे की अस्मिता का।
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