दूसरा उदाहरण मैं आपको अपने दो पड़ोसियों का
देता हूँ, जो पिछले 45 साल से हमारे पड़ोस में रह रहे हैं। इन दोनों
परिवारों में दो-दो पुत्र हैं। एक परिवार के दोनों भाईयों की शादी एक ही
परिवार की दो लड़कियों से हुई और दूसरे परिवार के दोनों भाईयों की शादी
अलग-अलग परिवारों की बेटियों से हुई। लेकिन दोनों पड़ोसियों के परिवारों
में जो एकता देखने को मिलती है, उसकी मिसाल पूरी कॉलोनी देती है। मैंने
पिछले 45 साल में कभी उनके परिवारों में तू-तू, मैं-मैं होते नहीं देखी। ये भी पढ़ें - प्राकृतिक टिप्स से पाएं कुदरती काले बाल
कहने
का तात्पर्य यह है कि शोध से जो नकारात्मक निष्कर्ष सामने आया है उसे
सकारात्मक किया जा सकता है, लेकिन यह तभी सम्भव है जब पुरुष परिवार अपनी
विचारधारा को बदलेगा।
नोट—यह लेखक के अपने विचार हैं। जरूरी नहीं कि आप इनसे सहमत हों।
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