श्याम आज अपने ऑफिस से काफी देर घर लौटा। उसकी पत्नी ने देखा कि हमेशा खुशमिजाज रहने वाला उसका पति पिछले एक सप्ताह से लगातार चिंतित व तनाव में नजर आ रहा है। आज उसने हिम्मत करके सोने से पहले श्याम से पूछा कि क्या बात है पिछले एक सप्ताह से आप बहुत चिंतित और परेशान नजर आ रहे हैं। पत्नी की बात सुनकर श्याम कुछ देर तो चुप रहा फिर बोला ऑफिस में काम बढ़ गया है। समझ नहीं आ रहा है कि क्या करूं। वक्त पर काम पूरा नहीं हो पा रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कार्यालय (ऑफिस) में वर्कलोड (काम का भार बढऩा) अपने साथ तनाव भी लाता है। इस तनाव को कम करने के लिए सबसे पहले वर्कलोड को समझना होगा और इसे बढऩे से रोकना होगा। काम का बोझ क्यों बढ़ रहा है, क्या ऑफिस में सिर्फ ऐसा आपके साथ है, पहले इसे समझने की आवश्यकता है। इसकी वजह को जानने के बाद अपने काम की प्राथमिकता तय करें और योजना बनाकर काम करें। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्कलोड बढऩे से तनाव कई तरह से शरीर पर हावी होने लगता है।
वर्कलोड का असर
लम्बे समय तक वर्कलोड का असर दिखने पर दो तरह से फर्क पड़ता है। शार्ट टर्म और लाँग टर्म।
शार्ट टर्म—वर्कलोड के तनाव के कारण धीरे-धीरे थकान बढ़ती है। अनिंद्रा की शिकायत होने लगती है। इससे आपके फैमिली, फ्रेंड्स और सोशल सर्कल पर फर्क पडऩे लगता है। व्यवहार में बदलाव आने लगता है।
लाँग टर्म—लाँग टर्म तनाव और चिंता में खाना अधिक खाना। नतीजा वजन का बढ़ जाना। कई तरह के डिसऑर्डर का खतरा बढ़ता है। इसलिए वर्कलोड को मैनेज करना सीखना बहुत जरूरी है।
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