इसके पश्चिमोत्तर में हिमालय की श्रेणियाँ 1044 मीटर (3425 फुट) की औसत
रखती हैं। शहर गर्मियों में सुखद और सर्दियों में ठंडा रहता है। शहर में कई
पुराने महल और वास्तुकला के उल्लेखनीय उदाहरण के अवशेष हैं। राजमार्ग मंडी
को पठानकोट, मनाली और चंडीगढ़ से जोड़ते हैं। 184.6 किमी (114.7 मील) दूर
स्थित चंडीगढ़ निकटतम बड़ा शहर है। दिल्ली यहाँ से 440.9 किमी (273.9 मील)
दूर है। ये भी पढ़ें - केसर स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभकारी
शहर का नाम ऋषि माण्डव पर पड़ा था। मान्यात है कि यहाँ की चट्टानें उनकी तपस्या की गंभीरता के कारण काली हो गई।
व्यास
नदी के किनारे बसा हिमाचल प्रदेश का ऐतिहासिक नगर मंडी लंबे समय से
व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है। समुद्र तल से 760 मीटर की ऊंचाई
पर स्थित यह नगर हिमाचल के तेजी से विकसित होते शहरों में एक है। कहा जाता
है महान संत मांडव ने यहां तपस्या की और उनके पास अलौकिक शक्तियां थी। साथ
ही उन्हें अनेक ग्रन्थों का ज्ञान था। माना जाता है कि वे कोल्सरा नामक
पत्थर पर बैठकर व्यास नदी के पश्चिमी तट पर बैठकर तपस्या किया करते थे। यह
नगर अपने 81 ओल्ड स्टोन मंदिरों और उनमें की गई शानदार नक्कासियों के लिए
के प्रसिद्ध है। मंदिरों की बहुलता के कारण ही इसे पहाड़ों के वाराणसी नाम
से भी जाना जाता है। मंडी नाम संस्कृत शब्द मंडोइका से बना है जिसका अर्थ
होता है खुला क्षेत्र।
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