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भारत के राजस्थान राज्य का जिला है धौलपुर, जिसमें धौलपुर नाम का एक नगर है। यह जिले का मुख्यालय भी है। इस पर जाट राजाओं ने शासन किया। धौलपुर चम्बल नदी के बाएं किनारे पर बसा हुआ है। धौलपुर दो राज्यों उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश की सीमाओं के बीच में अवस्थित है। धौलपुर जिला विशेष रूप से लाल रंग के बलुआ पत्थर के लिए जाना जाता है। यहाँ बनाई जाने वाली अधिकतर इमारतों का निर्माण इन बलुआ पत्थरों से ही किया जाता है। धौलपुर जिला राजस्थान की अरावली पर्वतमाला एवम् मध्यप्रदेश की विंध्याचल पर्वतमाला तथा उत्तर भारत के विशाल मैदान का मिलन स्थल है। अपनी विशिष्ट भौगोलिक पहचान के लिए भी ये जिला प्रसिद्ध है। इस जिले के पूर्व व उत्तर पूर्व में चम्बल नदी के प्रसिद्ध बीहड़ हैं तो दक्षिण-पश्चिम में अरावली की पथरीली , चट्टानी श्रृंखलाएं। धौलपुर में कई मंदिर, किले, झील और महल है जहाँ घूमा जा सकता है। उत्तरप्रदेश में इसका निकटवर्ती शहर आगरा (54 किमी.) एवम् मध्यप्रदेश में मुरैना (27 किमी.) है। मुरैना चम्बल के डकैतों के लिए ख्यात रहा है। यह राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से 280 किलोमीटर व राज्यीय राजधानी जयपुर से 265 किलोमीटर की दूरी पर है। इसके निकटतम हवाई अड्डे उत्तरप्रदेश के आगरा (54 किमी) व मध्यप्रदेश के ग्वालियर (65 किमी) हैै। राष्ट्रीय राजमार्ग 23 और राष्ट्रीय राजमार्ग 44 यहाँ से गुजरते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 3 (आगरा से मुंबई) शहर के बीचों बीच से निकलता है एवम् शहर को दो भागों में बाँटता है।
उद्योग और व्यापार
यहाँ पर सबसे बड़ा रोजगार कृषि और पत्थर का है।
धौलपुर से 60 किलोमीटर दूर सर मथुरा है जहाँ पर लाल पत्थर अधिक मिलता है।
यहाँ लाल पत्थर रोजगार का साधन है।
इतिहास
धौलपुर एक पुराने ऐतिहासिक शहर के रूप में जाना जाता है। धौलपुर शिवि वंशी बमरोलिया जाटों की प्रसिद्ध रियासत है। धौलपुर के राजाओं का विरुद महाराणा है। मूल रूप से धौलपुर भरतपुर के जाट राज्यवंश की एक शाखा का राज्य था। भरतपुर के सर्वश्रेष्ठ शासक सूरजमल जाट की मृत्यु के समय (1764 ई.) धौलपुर भरतपुर राज्य ही में सम्मिलित था। सूरजमल जाट की मृत्यु के बाद यहाँ एक अलग रियासत स्थापित हो गई। सिंधिया, अंग्रेज और जाटों के मध्य हुए एक समझौते के बाद धौलपुर क्षेत्र गोहद के जाट राजाओं के अधीन आ गया था। वर्तमान नगर मूल नगर के उत्तर में बसा है। चंबल नदी की बाढ़ से बचने के लिये ऐसा किया गया। पहले धौलपुर सामंती राज्य का हिस्सा था, जो 1949 में राजस्थान प्रदेश का हिस्सा बन गया था। धौलपुर के नामकरण के पीछे तीन मत प्रचलित है।
प्रथम मत के अनुसार नागवंशी धौल्या जाटों ने इस नगर की स्थापना की थी यह आगे चलकर धौलपुर नाम से प्रसिद्ध हुआ। द्वितीय मत के अनुसार यह नगर धवलदेव नामक शासक ने बसाया था। लेकिन इससे संबंधित कोई भी प्राचीन लेख अप्राप्त है। तृतीय मत के अनुसार जादौन शासक दवलराय ने इस जगह की स्थापना की है। उपरोक्त सभी मतों में से नागवंश द्वारा इस जगह की स्थापना प्रामाणिक है। इसके निकट क्षेत्र पर सैकड़ों सालों तक नागवंश का शासन रहा है।
एक दिवसीय पर्यटन स्थल
राजस्थान का धौलपुर जिला एक दिवसीय पर्यटन के लिए सर्वश्रेष्ठ पर्यटक स्थल है। धौलपुर अपने लाल रंग के बलुआ पत्थरों की संरचना के लिए प्रसिद्ध है, जो धौलपुर शहर को गौरवान्वित करती है, शायद राजस्थान में कम देखी जाने वाली जगहों में से एक है। इस साधारण भीड़भाड़ वाले शहर में अपनी तरह का कुछ खजाना है जिसे बार-बार देखने का मन करता है। आप धौलपुर के राजसी महल से बने होटल, ईश्वरीय मंदिरों, ढहते किलों और सुंदर जानवरों से भरे आकर्षक अभयारण्यों को देखने का मोह नहीं छोड़ पाएंगे। अपने दर्शनीय स्थलों की यात्रा के दौरान, जब आप टाउन-हॉल रोड से गुजरते हैं, तो सबसे पहली चीज जो आप धौलपुर में देख सकते हैं, वह है निहाल टॉवर। यह घंटाघर है जिसे स्थानीय रूप से घंटा घर के नाम से जाना जाता है।
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