शोधकर्ताओं ने दिन में तीन बार इन किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित
लक्षणों के रिपोर्ट को इकट्ठा किया और इसके साथ ही हर रोज वे फोन या ऑनलाइन
जितना समय बिताते थे उसके बारे में भी रात को रिपोर्ट तैयार किया जाता था। ये भी पढ़ें - खूब खाइए हरी सब्जियां घटेगा मोतियाबिंद का खतरा
इन
रिपोर्ट को जब बाद में देखा गया तो शोधकर्ताओं ने पाया कि डिजिटल तकनीक के
अत्यधिक उपयोग का संबंध खराब मानसिक स्वास्थ्य से नहीं है। शोधकर्ताओं
ने कहा कि रिपोर्ट में जिन युवाओं के अधिक टेक्सट मैसेज भेजने की सूचना
मिली वे उन युवाओं की तुलना में अच्छा महसूस कर रहे थे जिन्होंने कम मैसेज
भेजा।
तकनीक के अत्यधिक उपयोग के खिलाफ सलाह देते हुए विशेषज्ञों ने इसका उपयोग जिम्मेदारी के साथ करने पर जोर दिया।
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