नई दिल्ली । चूहों पर किए गए एक शोध में बुजुर्गों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। इस शोध में बुजुर्गों की कमजोर याददाश्त और एंजाइम के बीच संबंध उजागर होते हैं। ये स्टडी आगे चलकर अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया के इलाज में कारगर साबित होगी।
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बुढ़ापे के साथ सोचने की क्षमता कमजोर हो जाती है। बुजुर्गों को न सिर्फ नई जानकारी स्वीकार करने में दिक्कत आती है बल्कि जब कुछ नई डिटेल साझा की जाती है तो उसे मॉडिफाई करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
अमेरिका में पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एंजाइम हिस्टोन डीएसेटाइलेज-3 (एचडीएसी-3) को इसका प्रमुख कारण बताया है।
फ्रंटियर्स इन मॉलिक्यूलर न्यूरोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित शोध से पता चला है कि इस एंजाइम को अवरुद्ध करने पर बुजुर्ग चूहे, युवा चूहों की तरह ही नई जानकारी संजोने में सक्षम थे।
पेन स्टेट में जीव विज्ञान की सहायक प्रोफेसर जेनिन क्वापिस ने कहा, “शोध में इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया है कि मेमोरी फॉरमेशन और मेमोरी अपडेटिंग के पीछे की प्रक्रिया समान है या फिर वे मेमोरी अपडेटिंग के लिए कारगर थे। ये शोध उन तथ्यों को उजागर करने की कोशिश के तहत उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।"
क्वापिस ने कहा कि नई जानकारी लेने के लिए मस्तिष्क को अपनी मौजूदा मेमोरी स्टोरेज बाहर निकालनी पड़ेगी और उसे कमजोर करना होगा। इस प्रक्रिया को रीकंसोलिडेशन (फिर से एकत्रित करना) कहा जाता है, जो उम्र के साथ घटती है।
शोध में जिक्र किया गया है कि जब मेमोरी रीकंसोलिडेशन चरण के दौरान एचडीएसी-3 को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया गया तो उम्र संबंधी मेमोरी अपडेट वाली कमजोरी भी रुक गई।
--आईएएनएस
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