शहनाज ने कहा, "होली के दौरान बाजारों में इको फ्रेंडली रंगों की भरमार आ
जाती है, लेकिन यदि इन रंगों से किसी केमिकल या पेट्रोल की गंध आए या रंग
पानी में आसानी से न घुलें तो आप इन्हें कतई न खरीदें, क्योंकि तत्काल पैसा
बनाने के चक्कर में लोग अक्सर त्योहारों को ही चुनते हैं। आर्गेनिक रंगों
में डार्क शेड में चमकदार कण कतई नहीं होते इसलिए काला, सिल्वर, गहरा पीला
रंग कतई न खरीदें।" ये भी पढ़ें - आपका तनाव संतान को दे सकता है मधुमेह
उन्होंने कहा कि यह कतई जरूरी नहीं है कि नामी
गिरामी कंपनियों के बाजार में बिकने बाले महंगे हर्बल रंगों को ही चुनें,
बल्कि बेहतर रहेगा अगर आप घर में ही हर्बल रंग बनाएं। आप बेसन में हल्दी
मिलाकर पीला हर्बल रंग पा सकते हैं।
गेंदे के फूलों के पत्तों को पानी में
उबालकर पिचकारी के लिए पीला रंग बना सकते हैं, जबकि गुड़हल फूलों के पत्तों
के पाउडर को आटे के साथ मिलाने से लाल रंग बन जाता हैं। पानी में केसर या
मेहंदी मिलकर नारंगी रंग बन जाता है, इसी प्रकार अनार के दाने पानी में
मिलाकर गुलाबी रंग का पानी बन जाता है।
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