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राष्ट्रीय हृदय प्रत्यर्पण दिवस, आज ही के दिन 20 चिकित्सकों ने मिलकर किया था सफल ट्रांसप्लांट

National Heart Transplant Day, on this day 20 doctors together did a successful transplant - Health Tips in Hindi

नई दिल्ली । राष्ट्रीय हृदय प्रत्यर्पण दिवस हर साल 3 अगस्त को मनाया जाता है। लोगों को जागरूक करने और बताने के लिए कि देश के चिकित्सकों ने बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने चिकित्सकों के सम्मान में इसे हर साल मनाने का फैसला लिया।


यूं तो कई बार हृदय प्रत्यारोपण की कोशिशें की जा चुकी थीं, लेकिन हर बार चिकित्सकों को निराशा का सामना करना पड़ता था। फिर देश ने वो दिन भी देखा जब प्रयास सफलता में तब्दील हुआ और मेडिसिन के क्षेत्र में हमने नया कीर्तिमान स्थापित किया।

इसी दिन पहली बार हमारे चिकित्सकों ने सफल हार्ट ट्रांस्पलांट किया। ये ट्रांसप्लांट उम्मीद भरी रोशनी लेकर आया। न सिर्फ डॉक्टर बल्कि उन सभी मरीजों की आशाएं बढ़ गईं, जो हृदय संबंधी रोग से जूझ रहे थे।

भारत में सफल हार्ट ट्रांसप्लांट हृदय रोग विशेषज्ञ सर्जन पी. वेणुगोपाल की अगुवाई में हुआ। दिल्ली स्थित 'अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान' में हार्ट प्रत्यर्पित किया गया। वैसे भारत से पहले दिल को एक शरीर से दूसरे शरीर तक पहुंचाने के सफर का सफल आगाज अफ्रीका के केपटाउन शहर से हुआ। हृदय ट्रांसप्लांट यात्रा के कई पड़ाव आए।

पहला 1958 में। जब अमेरिकी सर्जन नॉर्मन सम्वे ने कुत्ते का हार्ट ट्रांसप्लांट किया। कैलिफोर्निया के स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। सम्बे ने ट्रांसप्लांट के लिए एक ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसका बाद में कई चिकित्सकों ने इस्तेमाल भी किया।

3 दिसंबर 1967 को दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण हुआ। दक्षिण अफ्रीका के सर्जन क्रिस्टियन बर्नाड ने इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इसमें 30 चिकित्सकों ने 9 घंटे में ट्रांसप्लांट किया।

इस कहानी में एक मोड़ 1905 में भी आया था। 1967 के सफल प्रत्यर्पण से करीब 61 साल पहले। वो कोशिश असफल रही थी। उसे हाफ सक्सेसफुल सर्जरी भी कह सकते हैं क्योंकि 53 वर्षीय मरीज, लुइस वाशकांस्काई 18 दिन तक जिंदा रहा। उसकी मौत निमोनिया से हुई।

पिछले कुछ सालों में दिल संबंधी बीमारियों वाले मरीजों की तादाद में भी इजाफा हो रहा है। ऐसे में वो आदर्श स्थिति क्या हो कि ट्रांसप्लांट की जरूरत ही न पड़े। आईएएनएस ने इसे लेकर गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रशांत पांडेय से बात की। उन्होंने बताया कि ये सब जीवनशैली से संबंधित होता है बस स्वंय पर नियंत्रण रखें, संयमित रहें और निरंतर व्यायाम करते रहें तो निरोगी रहेंगे। डॉक्टर साहब की राय है कि नशीले पदार्थों से दूरी रखी जाए तो दिल लंबे समय तक आपका साथ दे सकता है।

--आईएएनएस

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Web Title-National Heart Transplant Day, on this day 20 doctors together did a successful transplant
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Tags: national heart transplant day
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