टोरंटो । लोगों के खून में सार्स-सीओवी-2 के आनुवंशिक मटेरियल वायरल आरएनए की मात्रा एक विश्वसनीय इंडीकेटर है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि अब कोरोना से किस संक्रमित की मौत होगी। ये जानकारी शोधकर्ताओं ने साझा की है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कोरोनावायरस के प्रबंधन में प्रगति के बावजूद डॉक्टरों को बीमारी से मरने के जोखिम वाले संक्रमितों की पहचान करना मुश्किल हो गया है और इसलिए उन्हें नए उपचार की पेशकश करने में सक्षम होना चाहिए।
यूनिवर्सिट डी मॉन्ट्रियल के नेतृत्व में एक टीम ने एक सांख्यिकीय मॉडल विकसित किया, जो संक्रमित रोगियों की पहचान करने के लिए सार्स-सीओवी-2 के ब्लड बायोमार्कर का उपयोग करता है, जिन्हें कोरोना से मरने का सबसे ज्यादा खतरा है।
उन्होंने कोरोना के लिए अस्पताल में भर्ती होने के दौरान 279 संक्रमितों से इक्ठ्ठे किए गए खून के नमूनों का उपयोग किया।
यह खोज साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुई है।
मेडिकल प्रोफेसर डॉ डैनियल कॉफमैन ने कहा, "हमारे अध्ययन से हम यह निर्धारित करने में सक्षम हैं कि लक्षणों की शुरूआत के बाद 60 दिनों में कौन से बायोमार्कर की मौत हो सकती है।"
टीम ने वायरल आरएनए की मात्रा और वायरस को लक्षित करने वाले एंटीबॉडी के स्तर को भी मापा। लक्षणों की शुरूआत के 11 दिन बाद नमूने इकट्ठे किए गए और उसके बाद कम से कम 60 दिनों तक मरीजों की निगरानी की गई।
इसकी प्रभावशीलता की पुष्टि करने के लिए, कॉफमैन और ब्रुनेट-रत्नसिंघम ने महामारी की पहली लहर के दौरान और फिर दूसरी और तीसरी लहर के दौरान संक्रमितों के दो स्वतंत्र समूहों पर मॉडल का परीक्षण किया।
(आईएएनएस)
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