नई दिल्ली। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज के एक हिस्से, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने इस रहस्य का खुलासा किया है कि उन लोगों में आखिर फेफड़ों का कैंसर कैसे उत्पन्न होता है, जो कभी धूम्रपान नहीं करते हैं? धूम्रपान के इतिहास वाले लोगों में फेफड़ों के कैंसर के जीनोमिक विश्लेषण में पाया गया है कि इनमें से अधिकांश ट्यूमर शरीर में प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण उत्परिवर्तन के संचय से उत्पन्न होते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह अध्ययन राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) के हिस्से नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (एनसीआई) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा आयोजित किया गया है। इसमें उन लोगों में पहली बार फेफड़ों के कैंसर के तीन आणविक उपप्रकारों का वर्णन किया गया है, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है।
शोध के निष्कर्ष इस सप्ताह की शुरूआत में नेचर जेनेटिक्स में प्रकाशित हुए थे।
एनसीआई के कैंसर महामारी विज्ञान और आनुवंशिकी विभाग में एकीकृत ट्यूमर महामारी विज्ञान शाखा में महामारी विज्ञानी एमडी, पीएचडी मारिया टेरेसा लैंडी, जिन्होंने शोध का नेतृत्व किया है, ने कहा, "हम जो देख रहे हैं वह यह है कि कभी धूम्रपान न करने वालों में फेफड़े के कैंसर के विभिन्न उपप्रकार होते हैं, जिनमें विशिष्ट आणविक विशेषताएं और विकासवादी प्रक्रियाएं होती हैं।"
शोध राष्ट्रीय पर्यावरण स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान, एनआईएच के एक अन्य भाग और अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं के सहयोग से किया गया है। लैंडी ने कहा, "भविष्य में हम इन उपप्रकारों के आधार पर अलग-अलग उपचार करने में सक्षम हो सकते हैं।"
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