नई दिल्ली। तुलसी श्वास की बीमारी, मुंह के रोगों, बुखार, दमा, फेफड़ों की
बीमारी, हृदय रोग तथा तनाव से छुटकारा दिलाती है। इसके साथ ही प्रजनन
संबंधी रोग में भी यह काफी गुणकारी है। यह नपुंसकता, स्तंभन एवं प्रसवोत्तर
शूल में यह काफी लाभकारी है।
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पंतजलि आयुर्वेदके आचार्य बालकृष्ण
के अनुसार, तुलसी कई रोगों में रामबाण औषधि की तरह काम करती है। उन्होंने
कहा कि प्रजनन, त्वचा, ज्वर और विष चिकित्सा में तुलसी का प्रयोग लाभप्रद
है। तुलसी के प्रयोग से सस्ता व सुलभ तरीके से उपचार किया जा सकता है।
प्रजनन संबंधी रोग में औषधीय प्रयोग विधि :
*
स्तंभन के लिए : 2 से 4 ग्राम तुलसी मूल चूर्ण और जमीकंद चूर्ण को मिलाकर
125-250 मिलीग्राम की मात्रा में पान में रखकर खाने से स्तंभन दोष मिटता
है।
* प्रसवोत्तर शूल : तुलसी के पत्ते के रस में पुराना गुड़ तथा
खांड मिलाकर प्रसव होने के बाद तुरंत पिलाने से प्रसव के बाद का शूल नष्ट
होता है।
* नपुंसकता : समभाग तुलसी बीज चूर्ण या मूल चूर्ण में
बराबर की मात्रा में गुड़ मिलाकर 1 से 3 ग्राम की मात्रा में, गाय के दूध
के साथ लगातार लेते रहने से एक माह या छह सप्ताह में लाभ होता है।
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