नई दिल्ली। तेजी से बढ़ती भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग तनाव का शिकार हो रहे हैं। जिससे हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इन मामलों में अक्सर रोगी की मौके पर ही मौत हो जाती है। मगर कई बार उन्हें तुरंत कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देकर बचा लिया जाता है। कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) हार्ट अटैक में दिए जाने वाला एक आपातकालीन उपचार है। यह उपचार रोगी को तब दिया जाता है जब किसी व्यक्ति की दिल की धड़कन अचानक रुक जाती है। इस स्थिति में सीपीआर देकर व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।
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इसके बारे में अधिक जानने के लिए आईएएनएस ने गुरुग्राम के मेदांता मेडिसिटी अस्पताल के एसोसिएटेड कंसल्टेंट (इंटेंसिव केयर यूनिट) डॉ. प्रशांत पांडे से बात की।
सीपीआर के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. प्रशांत ने बताया, ''जब व्यक्ति का हार्ट पम्प करना बंद कर देता है, तब उसकी जान बचाने के लिए उसके हार्ट पर बाहर से दबाव बनाया जाता है, जिससे हार्ट में खून पहुंचता रहे। इसके अलावा कई दवाओं के उपयोग से भी मरीज की जान बचाई जा सकती है।''
डॉक्टर ने कहा, ''सीपीआर को बायीं ओर दिया जाना चहिए। इसमें छाती पर लगभग 2 इंच (5 सेंटीमीटर) सीधा नीचे की ओर धक्का दिया जाता है। इसे मरीज को लगभग 20 मिनट तक दिया जाना चहिए। इससे मरीज की जान बचाई जा सकती है।''
सीपीआर किसे दिया जाना चहिए, इस पर डॉ. प्रशांत ने बताया, ''आपको 10 से 15 मिनट के अंदर ही यह निर्णय लेना होता है कि व्यक्ति को सीपीआर की जरूरत है या नहीं। इसे 'गोल्डन पीरियड' कहा जाता है, इसी के भीतर फैसला लेना होता है।''
उन्होने कहा, ''सबसे पहले यह देखना होता है कि मरीज कैसी प्रतिक्रिया दे रहा है। गले में मौजूद कैरोटिड आर्टरी से पता लगाया जा सकता है कि मरीज को सीपीआर की जरूरत है या नहीं। अगर उस आर्टरी में पल्स नहीं है तो जान लें कि मरीज को तुरंत ही कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देने की जरूरत है। अगर आर्टरी में पल्स है तो व्यक्ति की बेहोशी किसी और कारण से हो सकती है।''
डॉ. प्रशांत ने जोर देते हुए कहा कि आज के समय में सभी को सीपीआर के बारे में जानकारी होनी चहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक कोर्स होता है, जिसे बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) के नाम से जाना जाता है। इसे सभी को करने की जरूरत है। ऐसे में आप किसी की जान बचाने में सक्षम हो सकते हैं।
--आईएएनएस
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