तनाव
वास्तव में हमारे पेट में एक अलग से नर्वस सिस्टम तंत्रिका तंत्र होता
है, जो लाखों-करोडों नर्व कोशिकाओं से मिलकर बना होता है।
न्यूयार्क की कोलंबिया युनिवर्सिटी के माइकल गर्शन के अनुसार जब हम
तनावग्रस्त होते हैं, तो दिमाग हमारे पेट को एसिड अधिक बनाने और आंतो के
सिकुडने के काम में तेजी लाने संबंधी सिगनल भेजता है, जिससे खट्टी डकारें
आती हैं, मरोड उठते हैंऔर अतिसार पेचिश हो जाता है।
हमारा शरीर भी कुछ ऎसे हारमोन और रसायन पैदा करता है, जिससे हमारी पाचन
क्रिया प्रणाली सुस्त या फिर ज्यादा सक्रिय हो जाती है। वास्तव में दिमाग
और पेट के बीच इतना जबर्दस्त संबंध होता है कि जीवन मे तनावपूर्ण लम्हों
जैसा तलाक या परिवार में किसी की मौत का असर प्राय: पेट की गडबडियों के रूप
में देखने को मिलता है।
शरीर का 95 प्रतिशत सेरोटोनिन "एक ऎसा न्यूरोट्रांसमीटर" "जिसका संबंध
उत्तेजना और अवसाद से है" पेट में बनता है। यही वजह है कि एंटीडिप्रेसेंट
दवाएं, जो सेरोटोनिन के स्तर को प्रभावित करती हैं, गंभीर पाचन संबंधी
रोगों में मददगार हो सकती हैं।
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