नई दिल्ली। क्रिसमस का नाम सुनते ही बच्चों के मन में सफेद और लंबी दाढ़ी
वाले लाल रंग के वस्त्र तथा सिर पर फुनगी वाली टोपी पहने पीठ पर खिलौनों का
झोला लादे बूढ़े बाबा ‘सांता क्लॉज’ की तस्वीर उभरने लगती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
क्रिसमस
(25 दिसम्बर) के दिन तो बच्चों को सांता क्लॉज का खासतौर से इंतजार रहता
है क्योंकि इस दिन वह बच्चों के लिए ढ़ेर सारे उपहार और तरह-तरह के खिलौने
जो लेकर आता है। ईसाई समुदाय के बच्चे तो सांता क्लॉज को एक देवदूत मानते
रहे हैं क्योंकि उनका विश्वास है कि सांता क्लॉज उनके लिए उपहार लेकर सीधा
स्वर्ग से धरती पर आता है और टॉफियां, चॉकलेट, फल, खिलौने व अन्य उपहार
बांटकर वापस स्वर्ग में चला जाता है। बच्चे प्यार से सांता क्लॉज को
‘क्रिसमस फादर’ भी कहते हैं।
सांता क्लॉज के प्रति न केवल ईसाई
समुदाय के बच्चों का बल्कि दुनिया भर में अन्य समुदायों के बच्चों का
आकर्षण भी पिछले कुछ समय में काफी बढ़ा है और इसका एक कारण यह है कि
विभिन्न शहरों में 25 दिसम्बर के दिन सांता क्लॉज बने व्यक्ति विभिन्न
सार्वजनिक स्थलों अथवा चौराहों पर खड़े हर समुदाय के बच्चों को बड़े प्यार
से उपहार बांटते देखे जा सकते हैं।
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