मुंबई । कीचड़ में खिलने वाला गुलाबी, सफेद और नीले रंगों वाला कमल न केवल देखने में खूबसूरत होता है बल्कि इसका हिंदू धर्म में भी खासा महत्व है। मान्यता है कि नारायण की अर्धांगनी माता लक्ष्मी का निवास स्थान भी कमल ही है। आयुर्वेदाचार्य इसकी खूबियों से अवगत कराते हुए बताते हैं कि कमल सेहत के लिए वरदान होता है और इसके सेवन से अनगिनत फायदे मिलते हैं।
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कमल में कई तरह के पोषक तत्वों के साथ ही एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। इस वजह से इसे आयुर्वेद में औषधीय गुणों की खान माना जाता है। कमल के फूल के अलावा इसके पत्ते और जड़ को भी औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
आयुर्वेद में कमल को 100 समस्याओं की एक दवा माना जाता है। आयुर्वेद में पवित्र कमल के फूल को इसके शीतलता और शांति देने वाले फूलों की श्रेणी में रखा जाता है। इसके साथ ही कमल के अर्क का उपयोग त्वचा की देखभाल में भी किया जाता है। कमल के फूल के सेवन करने से तनाव दूर होता है। रक्तचाप और तापमान भी नियंत्रित होता है।
आयुर्वेदाचार्य और पंजाब स्थित 'बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल' के डॉ. प्रमोद आनंद तिवारी ने बताया कि कोमल सा कमल बुखार, लीवर से संबंधित समस्याओं के साथ ही खांसी को भी खत्म करने में अहम भूमिका निभाता है। कमल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन कम करने में मदद करते हैं।
आयुर्वेदाचार्य ने बताया, “आजकल की अनियमित दिनचर्या और काम के दबाव में तनाव, अनिद्रा जैसी समस्याएं आम सी बात बन गई हैं। कमल के न केवल फूल, बीज बल्कि पत्तियां भी फायदेमंद होती हैं और कई समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सक्षम होती हैं।”
उन्होंने आगे बताया, “पेट साफ न हो या पेट की गर्मी बढ़ने से उसका असर मुंह में पड़ता है और छाले हो जाते हैं। ऐसे में कमल का फूल सहायक होता है।”
--आईएएनएस
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