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कहीं आप भी तो नहीं हैं ट्रामा बॉन्ड के शिकार, ऐसे पहचानें लक्षण

Are you also a victim of trauma bond? Identify the symptoms like this - Health Tips in Hindi

नई दिल्ली । पिछले कुछ सालों में जिस तरह से ट्रामा बॉन्ड के मामले सामने आए हैं, उसने लोगों के बीच में इसे जानने की जिज्ञासा पैदा कर दी है कि आखिर यह ट्रामा बॉन्ड क्या है। आखिर किसी रिश्ते में कब किसी व्यक्ति को यह एहसास हो जाना चाहिए कि वो ट्रामा बॉन्ड का शिकार होता जा रहा है। लेकिन, कई बार यह देखने को मिला है कि लोग ट्रामा बॉन्ड की परिस्थितियों का सामना कर रहे होते हैं। लेकिन, उन्हें खुद इस बात का एहसास नहीं पाता क‍ि वो इस स्थिति का शिकार हो चुके हैं। ऐसे में हमारे लिए यह जान लेना जरूरी हो जाता है कि आखिर ट्रामा बॉन्ड क्या है और कैसे होते हैं और इसके लक्षण क्‍या हैं।
दुनिया में हर रिश्ते की बुनियाद प्यार है। लेकिन, जब प्यार का रंग फीका पड़ जाए और अलगाव से भी डर लगने लगे, तो उस व्यक्ति को यह समझ आ जाना चाहिए कि वो अब ट्रामा बॉन्ड का शिकार होता जा रहा है।

इसी विषय पर आईएएनएस ने फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के प्रमुख डॉ. कामना छिब्बर से विस्तृत बातचीत की।

डॉ. कामना छिब्बर बतातीं हैं, “जब किन्हीं दो व्यक्तियों के बीच रिश्ता भयावह अनुभवों के आधार पर आधारित होता है, तो उस स्थिति को ट्रामा बॉन्ड कहते हैं।”

वे बताती हैं, “इस स्थिति में आम तौर पर दो लोग शामिल होते हैं। पहले व्यक्ति दूसरे व्यक्ति पर ज्यादा एग्रेसिव या कहें कि अब्यूसिव होता है, जबकि दूसरा व्यक्ति उसका विरोध करने के बजाय यह सब कुछ सह रहा होता है। वो चाह कर भी उस पहले व्यक्ति को छोड़ नहीं पाता है। छोड़ने का ख्याल आते ही उसके जेहन में डर घर कर जाता है। जिस वजह से वो मजबूर होकर रिश्ते में शामिल दूसरे व्यक्ति के अत्याचार को सह रहा होता है।”

वे बताती हैं कि इस स्थिति में शोषित हो रहा व्यक्ति शोषण करने वाले पर निर्भर हो जाता है। उससे चाहकर भी अलग नहीं होता है। इस स्थिति में जो शोषण सह रहा होता है, उसके अंदर आत्मसम्मान की कमी आ जाती है। वो खुद को दूसरों की तुलना में कमतर आंकने लगता है। इस स्थिति में शोषित हो रहा व्यक्ति इस रिश्ते में अलग भी नहीं हो पाता है। वो खुद को गुलाम के रूप में घोषित कर लेता है और अपने ऊपर हो रहे अत्याचार को सह रहा होता है।

वे आगे बताती हैं कि जो कोई भी व्यक्ति इस स्थिति में आ जाए, तो उसके लिए यह जरूरी हो जाता है कि वो खुद को इससे निकाले। कई बार तो यह समझना ही मुश्किल हो जाता है कि क्या वो सच में ट्रामा बॉन्ड की स्थिति में तो नहीं है। कई बार तो लोग इनके लक्षणों को भी नहीं समझ पाते हैं, और तब तक काफी देर हो जाती है। कई बार यह स्थिति सामान्य नहीं हो पाती है।

डॉ. बताती हैं कि इस स्थिति से किसी व्यक्ति को बाहर निकलने के लिए सबसे पहले उसे अपने परिवार और दोस्तों की मदद लेनी चाहिए। ऐसी स्थिति में सपोर्ट की बहुत जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में थेरेपी का भी बहुत बड़ा रोल होता है। इसके बाद उसे धीरे-धीरे उस स्टेज में लाया जाता है, ताकि वो खुद पर विश्वास कर सके।

वे बताती हैं कि कई बार जब किसी व्यक्ति के सामने वो चेहरा सामने आता है, जिनके साथ वो ट्रॉमा बॉन्डिंग रिलेशनशिप में थे, तो उस व्यक्ति के लिए वहां से बाहर निकलना और मुश्किल हो जाता है, और उसे पुरानी बातें याद आने लगती हैं।

--आईएएनएस




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Web Title-Are you also a victim of trauma bond? Identify the symptoms like this
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Tags: trauma bond, symptom
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