सोने और जागने के मध्य की स्थिति स्वप्न कहलाती है जिसमें शरीर टी
निश्चल अवस्था में रहता है परंतु शरीर के अंदर की सभी क्रियाएं एवं
मस्तिष्क सक्रिय बना। स्वप्न अवस्था में हमारा मन स्वछंद होकर उन समस्त
विचारों, संकल्पों, चिंतन, मोह, माया, वासना, शोक, आकांक्षा, आदि में भ्रमण
करता रहता है जिन्हें हम जाग्रत अवस्था में सोचते-विचारते रहते हैं तथा वे
किसी पूरी नहीं हो पाती हैं। तब निद्रा अवस्था में ये हमें स्वप्न के रूप
में दिखाई देने लगते हैं वहीँ शरीर की विशेष अवस्थाओं, बीमारी, भय, दुःख,
शोक, कष्ट, या अधिक भोजन करने की दशा में भी स्वप्न दिखाई देते हैं। यद्यपि
सभी देखे गए स्वप्नों का फल सटीक नहीं बैठता है फिरभी इन्हें निरर्थक नहीं
माना जा सकता है। स्वप्न में देखे गए दृश्यों के शुभ या अशुभ प्रभाव ग्रंथ
के रूप में देखने को मिलते हैं। कुछ खास तरह के सपनों का अर्थ यदि जातक
समझ जाए तो भविष्य में होने वाली घटनाओं को आसानी से जान सकता है।
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स्वप्न विशेषज्ञों के अनुसार स्वप्न देखते समय हमारी
आत्मा वे सभी कार्य एवं क्रियाएं करती है जिन्हें जाग्रत अवस्था में करना
असंभव होता है। वास्तव में स्वप्न एक कार्य है जिसमें उसका अर्थ भी निहित
होता है।
पुनर्जन्म को स्वीकार करने वालों का मानंना है कि
पूर्व जन्म की बहुत सी घटनाएं नए जन्म में स्वप्न के रूप में दिखाई देती
हैं। जिन्हें समझकर उनका सटीक विश्लेषण करके उनके शुभ या अशुभ होने के बारे
में सकता है।
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