- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी
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* श्रीगणेश चतुर्थी - 7 सितम्बर 2024
* चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - 6 सितम्बर 2024 को 15:01 बजे
* चतुर्थी तिथि समाप्त - 7 सितम्बर 2024 को 17:37 बजे
* मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त....
जयपुर- 11:09 से 13:40
बांसवाड़ा- 11:15 से 13:45
डूंगरपुर- 11:18 से 13:48
प्रतापगढ़- 11:14 से 13:43
उदयपुर- 11:18 से 13:48
मुम्बई- 11:22 से 13:51
नई दिल्ली- 11:03 से 13:34
जबलपुर- 10:53 से 13:23
उज्जैन- 11:10 से 13:39
इन्दौर- 11:10 से 13:39
अहमदाबाद- 11:23 से 13:52
नागपुर- 10:57 से 13:26
नोएडा- 11:03 से 13:33
पुणे- 11:18 से 13:47
चेन्नई- 10:53 से 13:21
हैदराबाद- 11:00 से 13:28
गुरुग्राम- 11:04 से 13:35
चण्डीगढ़- 11:05 से 13:36
कोलकाता- 10:20 से 12:49
बेंगलूरु- 11:04 से 13:31
॥ श्रीगणेश आरती ॥
सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुन्दर उटि शेंदुराची।
कण्ठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती॥
रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा।
चन्दनाची उटि कुंकुमकेशरा।
हिरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती॥
लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बन्धना।
सरळ सोण्ड वक्रतुण्ड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकटी पावावे निर्वाणीरक्षावे सुरवरवन्दना॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती॥
* श्रीगणेश चतुर्थी के अवसर पर श्रीगणेश की आराधना जीवन में विजय की पताका फहराती है। इस दिन सच्चे मन से भगवान श्रीगणेश की पूजा करें, लडुवन का भोग लगाएं, श्रीगणेश कृपा की कामना के साथ दूब अर्पित करें, सामर्थ्य के अनुसार व्रत करें और संभव हो तो दान-पुण्य करें, कथा सुने, जीवन सफल हो जाएगा!
*
श्रीगणेश पूजा में शुद्ध भावना का विशेष महत्व है, इसलिए पवित्र मन से
प्रार्थना करें, श्रीगणेश की शुभ दृष्टि जीवन की सारी बाधाएं दूर करेगी...
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय, गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
विघ्नों
को दूर करनेवाले, वरदान देनेवाले, देवताओं के प्रिय, बड़े उदरवाले, सर्वजगत
की रक्षा करनेवाले, हाथी सदृश्य मुखवाले, वेद और यज्ञ के आभुषण, देवी
पार्वती के पुत्र, ऐसे हैं गणों के स्वामी श्रीगणेश, आपको नमस्कार हो,
नमस्कार हो!
* जब
हम कोई कार्य करते हैं तो उसका उद्देश्य होता है- विजय। जीवन में व्यक्ति
हर समय विजय प्राप्त करने के लिए प्रयास करता है लेकिन विघ्न, विजय की राह
में बाधा बनते हैं... श्रीगणेश की आराधना समस्त विघ्नों को समाप्त करती है और इसका सबसे अच्छा अवसर होता है श्रीगणेश चतुर्थी!
* हर माह में शुक्ल पक्ष की, अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है, जबकि पूर्णिमा के बाद आने वाली यानी कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।
* चतुर्थी का
पूजा-पर्व भगवान श्रीगणेश को समर्पित है, चतुर्थी का व्रत हर महीने होता
है, लेकिन सबसे मुख्य चतुर्थी का व्रत भाद्रपद के महीने में होता है,
संपूर्ण विश्व में इसे श्रीगणेश चतुर्थी यानी भगवान गणेशजी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है!
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