आगामी 11 अप्रेल को पूरी दुनिया में महावीर बजंरगबली की जयंती मनाई
जाएगी। आसुरी शक्तियों के विनाश के अलावा ग्रहजनित दोष या तंत्र-मन्त्र के
ऋणात्मक
प्रभावों का शमन हनुमान जी की उपासना व जाप से निम्नानुसार होता है-
ग्रह जनित बाधाएं---
नव
ग्रहों में राहू ,केतू व शनि जातकों को सर्वाधिक पीड़ित करते हैं, ऐसे में
राहू से बाधाएं होने पर आप हनुमान जी की नियमित आराधना के साथ इन्हें हर
छह माह के अंतराल पर चोला चढ़ाएं। मंगलवार के दिन लौंग लगाकर बूंदी के
लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाएं अौर हनुमाना चालीसा का पाठ करें। शनिकृत दोषों के
शमनार्थ निरंतर हनुमान चालीसा का पाठ करें। एक पौराणिक कथानुसार शनि देव ने
हनुमान जी से वादा किया हुआ है की वे उनके भक्तों को परेशान नहीं करेंगे।
केतू कृत दोषों के शमनार्थ मंगल दोष संबंधी उपाय ही किए जाते हैं, इसके लिए
हनुमान जी के सामने “ॐ हं हनुमते नमः’ मंत्र के 40000 जाप करे या कराएं
क्योंकि शास्त्रनुसार ‘कुजवत केतू शनिवत राहू।
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