हिन्दू धर्म में ऋषि
पंचमी का व्रत सुहागिन
महिलाओं के लिए बहुत
अधिक महत्व रखता है। ऋषि पंचमी
का दिन हिंदू धर्म
में बेहद महत्वपूर्ण माना
जाता है। इस बार
यह व्रत दिन रविवार,
8 सितंबर, 2024 यानी आज रखा
जा रहा है। यह
दिन सप्त ऋषियों को
समर्पित है। वैदिक पंचांग
के अनुसार, यह हर साल
भाद्रपद माह के शुक्ल
पक्ष के पांचवें दिन
मनाया जाता है। आमतौर
पर यह दिन गणेश
चतुर्थी के एक और हरतालिका तीज
के दो दिन बाद
आता है।
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ऐसी मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। सुहागिन
महिलाएं हर साल सप्तऋषियों
का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए
विधि-विधान से पूजा करती
है। ऐसी मान्यता है
कि ऋषि पंचमी का
व्रत को करने से
विवाहित महिलाओं को संतान प्राप्ति
का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा
वैवाहिक जीवन खुशहाली से
भर जाता है। इस
पर्व के दिन सप्त
ऋषियों के प्रति श्रद्धा
भाव व्यक्त किया जाता है।
यह व्रत जाने-अनजाने
में हुए पापों से
मुक्ति दिलाता है। इस दिन
गंगा स्नान का भी विशेष
महत्व है। यह व्रत
पुरुष भी अपनी पत्नी
के लिए रख सकते
हैं।
ऋषि
पंचमी के शुभ योग
हिंदू
पंचांग के अनुसार, रवि
योग दोपहर 03 बजकर 31 मिनट से अगले
दिन सुबह 06 बजकर 03 मिनट तक रहेगा।
इसके साथ ही विजय
मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 24 मिनट से 03 बजकर
14 मिनट तक रहेगा। वहीं,
गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर
57 मिनट तक रहेगा। आज
के दिन आप इस
शुभ समय के दौरान
पूजा-पाठ और किसी
भी प्रकार का शुभ कार्य
कर सकते हैं।
शुभ मुहूर्त
ऋषि पंचमी के दिन पूजा
का शुभ मुहूर्त 8 सितंबर
को सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर
01 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
ऐसी मान्यता है कि ऋषि
पंचमी के दिन सप्तऋषियों
की पूजा शुभ मुहूर्त
में करना शुभ फलदायी
माना जाता है। इसलिए
शुभ मुहूर्त में ही सप्तऋषियों
की पूजा करें।
ऋषि पंचमी व्रत कथा
प्राचीन समय में विदर्भ
देश में उत्तंक नामक
एक सर्वगुण संपन्न ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मण
की पत्नी सुशीला बेहद ही पतिव्रता
थी। इस ब्राह्मण दंपति
का एक पुत्र और
एक पुत्री थी। बेटी का
विवाह तो हुआ लेकिन
कुछ ही समय में
वो विधवा हो गई। इस
बात से दुखी ब्राह्मण
दंपत्ति अपनी बेटी के
साथ गंगा के तट
पर चले गए और
वहीं वो एक कुटिया
बनाकर रहने लगे।
एक दिन की बात
है, जब ब्राह्मण की
पुत्री सो रही थी
तभी उसका शरीर कीड़ों
से भर गया। बेटी
की ऐसी हालत देखकर
ब्राह्मण की पत्नी हैरान-परेशान होकर अपने पति
के पास पहुंची और
उनसे पूछा कि ऐसा
क्यों हो रहा है?
अपनी पुत्री की इस समस्या
का हल खोजने के
लिए जैसे ही उत्तंक
समाधि में बैठे उन्हें
पता चला कि पूर्व
जन्म में भी वह
कन्या उनकी ही पुत्री
थी और उसने रजस्वला
होते ही बर्तन छू
लिए थे।
इसके अलावा उसने इस जन्म
में भी ऋषि पंचमी
का व्रत नहीं किया
और इन्ही सब वजहों से
उसके शरीर में कीड़े
पड़ गए हैं। ऐसे
में सभी ने यह
निर्णय किया कि पुत्री
से ऋषि पंचमी का
व्रत कराया जाए, जिससे उसे
अगले जन्म में अटल
सौभाग्यशाली होने का वरदान
प्राप्त हो।
नोट—यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खास खबर
डॉट कॉम एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।
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