अक्षय नवमी की लोक कथा- ये भी पढ़ें - राशि के अनुसार करें महादेव की पूजा, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी
अक्षय नवमी पर कही जाने वाली लोक कथा के अनुसार, एक
साहूकार प्रत्येक वर्ष अक्षय नवमी वाले दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने के
बाद उसके नीचे श्रद्धा भाव से ब्राह्मणों को भोजन कराता और उन्हें स्वर्ण
दान करता। साहूकार के बेटों को यह सब करना नहीं सुहाता था तथा वे इसे
फिजूलखर्ची मानते हुए साहूकार का विरोध करते थे।
बेटों के इस व्यवहार से परेशान होकर एक दिन साहूकार घर से अलग हो
गया और उसने एक दुकान लेकर उसके आगे आंवले का वृक्ष लगा दिया। साहूकार पहले
की तरह आंवले के वृक्ष की सेवा करता और अक्षय नवमी आने पर उसकी
पूजा-अर्चना करके ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान करता। जिससे उसका व्यापार
जल्दी ही फलने-फूलने लगा और वह पहले से भी अधिक समृद्धशाली हो गया।
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