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सिर्फ ये लोग ही कर सकते हैं श्राद्ध

भारतीय धर्म संस्कृति में पितरों को देवतुल्य माना गया है। मातृ देवो भवः तथा पितृ देवो भवः के भावना हमारे संस्कृति में उनके दिव्य स्थान को प्रदर्शित करता हैं। इस दौरान लोग अपने बड़े-बुजुर्गों के लिए दान पुण्य का काम करते हैं। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की मुक्ति या मोक्ष दिलाने की कामना को लेकर पिंडदान और श्राद्ध करने आने वाले पिंडदानियों के लिए विष्णुनगरी, मोक्षधाम यानी गया पूरी तरह तैयार है। अश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या 15 दिन पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है। इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल अर्पित करते हैं व उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं। पिता-माता आदि पारिवारिक मनुष्यों की मौत के बाद उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को पितृश्राद्ध कहते हैं। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि श्राद्ध किसे करना चाहिए।


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Web Title-Only these people can do Shraddha
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