यदि किसी
कारण से अनुष्ठान करना सम्भव नहीं है तो नवरात्र में जितना अधिक जप हो सके
उतना ही अच्छा है।
नवरात्र में अपने इष्ट देव के सहस्रनाम से अर्चन करना चाहिए। सहस्त्रनाम
में देवी या देवता के एक हजार नाम होते हैं। इसमें उनके गुण व कार्य के
अनुसार नाम दिए गए हैं। सर्व कल्याण व कामना पूर्ति हेतु इन नामों से अर्चन
करने का प्रयोग अत्यधिक प्रभावशाली है। जिसे सहस्त्रार्चन के नाम से जाना
जाता है। ये भी पढ़ें - ऐसा शक्तिशाली मंत्र कि सुनने से ही किस्मत बदल जाए
सहस्र नामावली के एक-एक नाम का उच्चारण करके देवी
की प्रतिमा पर, उनके चित्र पर, उनके यंत्र पर या देवी का आह्वान किसी
सुपारी पर करके प्रत्येक नाम के उच्चारण के पश्चात नमः बोलकर देवी की प्रिय
वस्तु चढ़ाना चाहिए।
जिस वस्तु से अर्चन करना हो वह शुद्ध, पवित्र, दोष रहित व एक हजार से अधिक
संख्या में होनी चाहिए।
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