नागेश्वर को प्रचलित भाषा में ‘नागकेसर’ कहते हैं। काली
मिर्च के समान गोल, गेरु के रंग का यह गोल फूल घुण्डीनुमा होता है। मां
लक्ष्मी को नागकेसर प्रिय है। इसके पूजन से केवल 15 दिनों में घर में
लक्ष्मी बरसने लगती है। कुछ ऐसे उपाय आपको बताते हैं जो चमत्कारी तो हैं ही
तुरंत फल देने वाले भी हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
किसी भी पूर्णिमा के दिन
बुध की होरा में गोरोचन तथा नागकेसर खरीद कर ले आइए। बुध की होरा काल में
ही कहीं से अशोक के वृक्ष का एक अखण्डित पत्ता तोड़कर लाइए। गोरोचन तथा
नागकेसर को दही में घोलकर पत्ते पर एक स्वस्तिक चिह्न बनाएं। जैसी भी
श्रद्धाभाव से पत्ते पर बने स्वस्तिक की पूजा हो सके, करें। एक माह तक
देवी-देवताओं को धूपबत्ती दिखलाने के साथ-साथ यह पत्ते को भी दिखाएँ। आगामी
पूर्णिमा को बुध की होरा में यह प्रयोग पुनः दोहराएं। अपने प्रयोग के लिये
प्रत्येक पुर्णिमा को एक नया पत्ता तोड़कर लाना आवश्यक है। गोरोचन तथा
नागकेसर एक बार ही बाजार से लेकर रख सकते हैं। पुराने पत्ते को प्रयोग के
बाद कहीं भी घर से बाहर पवित्र स्थान में छोड़ दें।
किसी शुभ-मुहूर्त्त
में नागकेसर लाकर घर में पवित्र स्थान पर रखलें। सोमवार के दिन शिवजी की
पूजा करें और प्रतिमा पर चन्दन-पुष्प के साथ नागकेसर भी अर्पित करें।
पूजनोपरान्त किसी मिठाई का नैवेद्य शिवजी को अर्पण करने के बाद यथासम्भव
मन्त्र का भी जाप करें ‘ॐ नमः शिवाय’। उपवास भी करें। इस प्रकार 21
सोमवारों तक नियमित साधना करें। वैसे नागकेसर तो शिव-प्रतिमा पर नित्य ही
अर्पित करें, किन्तु सोमवार को उपवास रखते हुए विशेष रुप से साधना करें।
अन्तिम अर्थात् 21वें सोमवार को पूजा के पश्चात् किसी
सुहागिनी-सपुत्रा-ब्राह्मणी को निमन्त्रण देकर बुलाऐं और उसे भोजन, वस्त्र,
दान-दक्षिणा देकर आदर-पूर्वक विदा करें।
इक्कीस सोमवारों तक नागकेसर-तन्त्र द्वारा की गई यह शिवजी की पूजा साधक को
दरिद्रता के पाश से मुक्त करके धन-सम्पन्न बना देती है।
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