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जानिये जून माह में कब-कब पड़ेगा प्रदोष व्रत, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Know when Pradosh Vrat will be observed in June, its auspicious time, worship method and importance - Puja Path in Hindi

जून 2025 में प्रदोष व्रत दो महत्वपूर्ण तिथियों पर मनाए जाएंगे, जो भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना के लिए विशेष माने जाते हैं। प्रदोष व्रत का आयोजन हर महीने की त्रयोदशी तिथि को होता है, जो शुक्ल और कृष्ण पक्ष दोनों में आती है। यह व्रत विशेष रूप से सोमवार और शनिवार को अधिक महत्व रखता है, जिन्हें सोम और शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है।
जून 2025 के प्रदोष व्रत

रवि प्रदोष व्रत


—तिथि: 8 जून 2025 (रविवार)

—पूजन मुहूर्त: शाम 7:18 बजे से रात 9:19 बजे तक

—महत्व: रविवार को पड़ने वाला यह प्रदोष व्रत विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा के लिए जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा से समृद्धि और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।

2. सोम प्रदोष व्रत


—तिथि: 23 जून 2025 (सोमवार)

—पूजन मुहूर्त: शाम 7:22 बजे से रात 9:23 बजे तक

—महत्व: सोमवार को पड़ने वाला यह प्रदोष व्रत चंद्र देव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा से मानसिक शांति और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत मानसिक शांति, वैवाहिक सुख, संतान सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। प्रदोष काल (संध्या समय) में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

स्नान और साफ-सफाई


प्रदोष व्रत के दिन सुबह नहा-धोकर स्वच्छ वस्त्र पहनें। व्रत के लिए शुद्धता बहुत जरूरी है।

स्थान की तैयारी

घर में शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति के सामने पूजा स्थान तैयार करें। साफ-सुथरा आसन बिछाएं और दीपक, धूप, फूल, बेलपत्र आदि सजाएं।

पूजा सामग्री

—जल

—दूध

—गंगाजल

—बेलपत्र (शिव पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा)

—फूल (साधारण या सफेद)

—धूप और दीपक

—अक्षत (चावल)

—फल और मिठाई (प्रसाद के लिए)

—चंदन या केसर

पूजा आरंभ

शाम के समय प्रदोष काल (शाम का समय) में पूजा करें। सबसे पहले भगवान शिव का अभिषेक करें। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल चढ़ाएं।

मंत्रों का जाप:

नीचे दिए गए शिव मंत्रों का जाप करें:

महामृत्युंजय मंत्र:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

ओम नमः शिवाय:

ॐ नमः शिवाय

भजन और आरती


भगवान शिव के भजन गाएं और अंत में आरती करें। शिव जी की आरती के बाद प्रसाद वितरित करें।

व्रत का पालन

प्रदोष व्रत के दिन निर्जला व्रत या फलाहारी व्रत रखा जा सकता है। व्रत के दौरान शुद्ध आहार लें और शराब या मांसाहार से बचें।

प्रदोष व्रत के विशेष फल

—मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति

—वैवाहिक जीवन में सौहार्द और प्रेम बढ़ना

—संतान सुख की प्राप्ति

—कार्यों में सफलता और समृद्धि

—जीवन में बाधाओं का दूर होना


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Web Title-Know when Pradosh Vrat will be observed in June, its auspicious time, worship method and importance
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