हिन्दू धार्मिक के अनुसार प्रयोग किये जाने वाली वस्तु जैसे चावल, रोली,
आम के पत्ते, तिल, इत्र, नारियल आदि हर एक वस्तु का अपना महत्व है। कोई भी
व्यक्ति जब अपना नया व्यवसाय शुभारंभ करते है तो वह मूर्ति के सामने नारियल
फोडते। चाहे शादी हो, त्योहार हो या फिर कोई महत्वपूर्ण पूजा, पूजा की
सामग्री में नारियल आवश्यक रूप से रहता है। भारतीय सभ्यता में, पूजा-पाठ में नारियल को शुभ और मंगलकारी माना गया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
संस्कृत
में नारियल को ‘श्रीफल’ कहते है जिसमे ‘श्री’ का अर्थ लक्ष्मी। हिन्दू
धर्म की पौराणिक परम्परा के अनुसार, लक्ष्मी के बिना कोई भी शुभ कार्य पूरा
नही होता है। संस्कृत में नारियल के पेड़ को ‘कल्पवृक्ष’ कहते है। माना
जाता है कि ‘कल्पवृक्ष’ सभी की मनोकामनाओ को पूरा करता है इसलिए शुभ कार्यो
और पूजा में नारियल का उपयोग होता है पूजा के बाद नारियल को फोड़ कर सबको
प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
पंडितो का कहना है कि नारियल को
तोडना मानव के अहंकार को तोडना जैसा बताया गया है। नारियल का बाहर का खोल
अहंकार की तरह ठोस और कडक़ होता है। खोल को जब तक तोड़ नही दिया जाये तो न
वो किसी गुण को अंदर जाने देता है और न ही बाहर आने देता है।
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