हिंदू
धर्म में बप्पा को
प्रथम पूजनीय देवता माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश
चतुर्थी का पर्व हर
साल भाद्रपद मास के शुक्ल
पक्ष की चतुर्थी तिथि
को मनाई जाती है
जो कि इस बार
19 सितम्बर, मंगलवार को है। सभी चतुर्थी में यह सबसे
प्रमुख होती है। विघ्न
विनाशक गणेश जी का
पूजन करने से मन
की हर इच्छा पूरी
होती है। रिद्धि-सिद्धि
और शुभ-लाभ का
वास होता है। आज
के दिन व्रत रखने
और कुछ मंत्रों का
उच्चारण करने से बाप्पा
प्रसन्न होते हैं और
मनोकामना पूर्ती का आशीर्वाद प्रदान
करते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आज हम आपको गणेश
चतुर्थी व्रत कथा, मनोकामना
मंत्र और आरती बताने
जा रहे हैं जिन्हें
जानकर पढ़ें और गणपति
का आशीर्वाद प्राप्त करें।
गणेश चतुर्थी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार
एक बार भगवान शिव
और माता पार्वती नर्मदा
नदी के किनारे बैठे
थे। माता पार्वती ने
वहां भगवान शिव से चौपड़
खेलने को कहा। भगवान
शिव भी इस खेल
को खेलने के लिए तैयार
हो गए। लेकिन इस
खेल में होने वाले
हार-जीत का निर्णय
कौन लेगा यह समझ
नहीं आ रहा था,
इसलिए भगवान शिव ने कुछ
तीनके को इकट्ठा करके
एक पुतला बनाया और उसमें जान
डाल दी। जान डालते
ही वह पुतला एक
बालक बन गया। उसी
बालक को इस खेल
का निर्णय लेना था।
अब भगवान शिव और माता
पार्वती चौपड़ का खेल शुरू
कर दिए। तीन बार
चौपड़ का खेल खेला
गया। हर बार माता
पार्वती जीती, लेकिन भगवान शिव द्वारा निर्मित
उस बालक ने भगवान
शिव को ही विजय
बताया। इस बात को
सुनकर माता पार्वती बेहद
क्रोधित हो गई और
उन्होनें क्रोध में आकर उस
बालक को लंगड़ा होने
और कीचड़ में कीचड़ में
पड़े रहने का श्राप
दे दिया। बालक ने माता
पार्वती से बहुत माफी
मांगी। बालक के बार-बार क्षमा मांगने
पर माता पार्वती ने
उस बालक से कहा,
कि यहां गणेश पूजन
के लिए नागकन्या आएंगी
उनके कहें अनुसार तुम
भगवान श्री गणेश का
व्रत पूरी श्रद्धा पूर्वक
रखना। इस व्रत के
प्रभाव से तुम इस
श्राप से मुक्त हो
जाओगें।
एक वर्ष के बाद
उस स्थान पर नागकन्या आई।
तब उस बालक ने
नागकन्याओं से गणपति बप्पा
के व्रत का विधि-विधान पूछा। उनके बताए अनुसार
उस बालक ने 21 चतुर्थी
तक बप्पा का व्रत किया।
बालक की भक्ति को
देखकर गणपति बप्पा बहुत प्रसन्न हुए
और उन्होंने उस बालक को
मनोवांछित वर मांगने को
कहा। तब उस बालक
नें सिद्धिविनायक से कहां 'हे
प्रभु' मुझे इतनी शक्ति
दीजिए कि मैं अपने
पैरों से चलकर अपने
माता-पिता के साथ
कैलाश पर्वत पर जा सकूं।
तब बप्पा ने तथास्तु कहा।
भगवान
श्री गणेश के तथास्तु
कहने के बाद वह
बालक अपने माता-पिता
के साथ कैलाश पर्वत
पहुंचा। वहां उसने भगवान
शिव को अपने ठीक
होने की पूरी बात
बताई। बालक की बात
सुनकर भगवान शिव ने भी
माता पार्वती को प्रसन्न करने
के लिए 21 चतुर्थी का व्रत रखा।
व्रत के प्रभाव से
माता पार्वती भी प्रसन्न हो
गई। इसके बाद भगवान
शिव ने माता पार्वती
को इस व्रत की
पूरी महिमा बताई। इस बात को
सुनकर माता पार्वती की
मन में अपने बड़े
पुत्र कार्तिक से मिलने की
प्रबल इच्छा जाग उठी।
तब माता पार्वती ने
भी 21 चतुर्थी का व्रत रखा।
इस व्रत के प्रभाव
से भगवान कार्तिकेय माता पार्वती से
मिलने स्वयं आ गए। तभी
से यह व्रत संसार
में विख्यात हो गया और
इसे हर मनोकामना को
पूर्ण करने वाला व्रत
माना जाने लगा। ऐसा
कहा जाता है, कि
यदि कोई व्यक्ति 21 चतुर्थी
का व्रत पूरी श्रद्धा
पूर्वक करें, तो बप्पा उसकी
हर मनोकामना अवश्य पूर्ण कर देते हैं।
गणेश मनोकामना पूर्ति मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः
ग्रह दोष निवारण गणेश मंत्र
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
बिगड़े कार्यों को सफल बनाने का मंत्र
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे
बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं
निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
गणेश जी को प्रसन्न करने का मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव
सर्वकार्येषु सर्वदा॥
गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात्।
गणपति षडाक्षर मंत्र: आर्थिक तरक्की के लिए
ओम वक्रतुंडाय हुम्
सुख समृद्धि के लिए गणेश मंत्र
ऊं हस्ति पिशाचिनी लिखे स्वाहा
गणेश
जी की आरती
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता
महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार
भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी
॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता
महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता
महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा
।
माता जाकी पार्वती, पिता
महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल
कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता
महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता
महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता
महादेवा ॥
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