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श्राद्ध पक्ष में इन कामों को करना ना भूलें और नहीं करें ये काम

Do not forget to do these works in Shraddh Paksha and do not do these tasks - Puja Path in Hindi

इस वर्ष पितृ पक्ष श्राद्ध (02 सितंबर दिन बुधवार) से प्रारंभ हो गए है, जो 17 सितंबर तक चलेंगे। इस दौरान कुछ कामों को अवश्य करने और कुछ को नहीं करने से ही मनमाफिक लाभ मिलने लगता है। ऐसे में इन खास बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।

श्राद्ध अपने ही घर में करना चाहिए, दूसरे के घर में करने का निषेध है।
श्राद्ध केवल अपरान्ह काल में ही करें।
श्राद्ध में तीन वस्तुएं पवित्र हैं- दुहिता पुत्र, कुतपकाल (दिन का आठवां भाग) तथा काले तिल।
श्राद्ध में तीन प्रशंसनीय बातें हैं- बाहर भीतर की शुद्धि, क्रोध नहीं करना तथा जल्दबाजी नहीं करना।
श्राद्ध काल में गीताजी, श्रीमद्भागवत पुराण, पितृ सूक्त, पितृ संहिता, रुद्र सूक्त, ऐंन्द्र सूक्त, मधुमति सूक्त आदि का पाठ करना मन, बुद्धि एवं कर्म तीनों की शुद्धि के लिए अत्यन्त फलप्रद है।
श्राद्ध काल में जपनीय मंत्र
1. ऊॅं क्रीं क्लीं ऐं सर्वपितृभ्यो स्वात्म सिद्धये ऊॅं फट।।
2. ऊॅं सर्व पितृ प्रं प्रसन्नो भव ऊॅं।।
3. ऊॅं पितृभ्यः स्वधायिभ्यः स्वधानमः पितामहेभ्य स्वधायिभ्यः स्वधा नमः। प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्यः स्वधा नमः अक्षन्न पितरो मीमदन्त पितरोतीतृपन्त पितरः पितरः शुन्दध्वम्।। ऊॅं पितृभ्यो नमः/पितराय नमः।।
इसके अतिरिक्त जिनकी जन्म पत्रिका में पितृ दोष विद्यमान हो तो उन्हें पितृ पक्ष में नित्य ’ऊॅं ऐं पितृदोष शमनं ह्नीं ऊॅं स्वधा।। मंत्र का यथा शक्ति जाप करना चाहिए।
नित्य मंत्र जाप के बाद तिलांजलि से अर्घ्य दें तथा किसी निर्धन व्यक्ति को तिल दान अवश्य करें।

श्राद्ध में क्या नहीं करें
पद्म पुराण तथा मनुस्मृति के अनुसार श्राद्ध का दिखावा नहीं करें, उसे गुप्त रुप से एकान्त में करें।
धनी होने पर भी इसका विस्तार नहीं करें तथा भोजन के माध्यम से मित्रता, सामाजिक या व्यापारिक संबंध स्थापित न करें।
श्राद्ध के दिन घर में दही नहीं बिलोएं, चक्की नहीं चलाएं तथा बाल नहीं कटवाएं।
महाभारत के अनुसार बैंगन, गाजर, मसूर, अरहड, गोल लौकी, शलजम, हींग, प्याज, लहसुन, काला नमक, कालाजीरा, सिंघाडा, जामुन, पिपली, सुपाडी, कुलपी, महुआ, अलसी, पीली सरसों तथा चना का प्रयोग श्राद्ध में निषिद्ध है।
पितर पक्ष में कोई भी मांगलिक तथा शुभ करना वर्जित है। अतः कूप निर्माण, बावड़ी, बाग, वन का प्रारम्भ तथा देव प्रतिष्ठा व किसी भी प्रयोजन के निमित्त व्रत, उत्सव, उद्यापन, वधू प्रवेश आदि कार्य करना वर्जित है।
घर में पेंट करना, नये वस्त्र खरीदना, मकान, विवाह तथा विवाह की बात चलाना भी वर्जित है। भूमि पूजन, कूंआ पूजन, सन्यास ग्रहण, व्यापार का श्रीगणेश आदि श्राद्ध पक्ष में न करें।

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Web Title-Do not forget to do these works in Shraddh Paksha and do not do these tasks
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