दीपावली
का पंच दिवसीय पर्व धनतेरस से शुरू होता है। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। वर्ष 2023 में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी, 10 नवंबर को धनतेरस है। पौराणिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस कारण लोग उस दिन बर्तन खरीद कर घर में पूजा करते हैं। इस दिन सोने या चांदी की चीजें खरीदने का महत्व है। बहुत से लोग लक्ष्मी-गणेश अंकित सोने-चांदी के सिक्के खरीदते हैं तो स्टील, पीतल या तांबे आदि के बर्तन खरीदने वाले भी बाजार में दिखते हैं। वर्ष पर्यंत धन-वृद्धि के लिए धनतेरस के दिन तांबे का बर्तन खरीदना शुभ माना गया है।
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त्रयोदशी तिथि कब से कब तक
इस साल त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर प्रारंभ होगी और 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी।
प्रदोष काल - 05:29 पी एम से 08:07 पी एम
वृषभ काल - 05:46 पी एम से 07:42 पी एम
धनतेरस पूजा मुहूर्त - 05:46 पी एम से 07:42 पी एम
अवधि - 01 घंटा 56 मिनट
धनतेरस पूजन विधि
जगतपुरा, प्रतापनगर सांगानेर स्थित कैर के बालाजी के महंत पंडित मुकेश शर्मा के
अनुसार, धनतेरस पर धन्वंतरि की पूजा 16 क्रियाओं से करनी चाहिए। इनमें आसन, पाद्य, अर्घ्य, स्नान, वस्त्रत्त्, आभूषण, गंध (केसर-चंदन), पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन (शुद्ध जल), दक्षिणायुक्त तांबूल, आरती, परिक्रमा शामिल हैं। संध्या बेला में घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीये जलाने चाहिए। यम देव के निमित्त दीपदान करना चाहिए। इससे यमराज के भय से मुक्ति मिलती है।
धनतेरस शुभ मुहूर्त 2023
1. त्रयोदशी तिथि प्रारंभ 10 नवंबर मध्याह्न 1235 बजे
2. त्रयोदशी तिथि समाप्ति 11 नवंबर मध्याह्न 01 57 बजे
3. खरीदारी का मुहूर्त सायं 0505 बजे से सायं 0641 बजे
4. धनतेरस पूजा सायं 05 47 बजे से सायं 0743 बजे तक
दीपावली तक इस्तेमाल नहीं
धनतेरस के दिन जो कुछ भी खरीदा जाए, उसका दीपावली तक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। दीपावली के दिन उसे देवी लक्ष्मी के सामने रखकर, उसकी पूजा करनी चाहिए।
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