छठ
पर्व की शुरुआत कार्तिक
मास की शुक्ल पक्ष
की षष्ठी तिथि से होती
है। इस अवसर पर
सूर्य देव और छठी
मैया की पूजा की
जाती है। महिलाएं इस
व्रत को अपनी संतान
की सुरक्षा और उज्ज्वल भविष्य
की कामना के लिए करती
हैं। छठ पर्व के
पहले दिन ‘नहाए खाय’
का आयोजन किया जाता है,
जो इस पर्व को
मनाने वालों के लिए अत्यंत
महत्वपूर्ण होता है।
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नहाय खाय के दिन सूर्योदय सुबह 6:39 बजे और सूर्यास्त शाम 5:41 बजे होगा। इस दिन छठ पूजा करने वाले पुरुष और महिलाएं गंगा नदी में स्नान और ध्यान के बाद सूर्य देव की आराधना करते हैं। इसके पश्चात घर में कद्दू और चने की दाल से भोजन तैयार किया जाता है।
नहाय खाय का अर्थ है स्नान के बाद भोजन करना। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं। इसके बाद वे भात, चना दाल और कद्दू या लौकी का प्रसाद बनाकर ग्रहण करती हैं। यह माना जाता है कि नहाय खाय का यह भोजन साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। साथ ही, यह भी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले साधक इस सात्विक आहार के माध्यम से खुद को पवित्र कर छठ पूजा के लिए तैयार होते हैं।
कद्दू
भात से क्यों होती
है छठ पूजा की शुरुआत?
नहाय-खाय के दिन
कद्दू भात का सेवन
करने की परंपरा है।
यह मान्यता है कि इस
व्रत की शुरुआत कद्दू
भात के बिना नहीं
हो सकती। इस अवसर पर
लहसुन और प्याज के
बिना कद्दू, लौकी की सब्जी
और चना दाल के
साथ चावल बनाने का
विधान है। लेकिन क्या
आप जानते हैं कि कद्दू
का चयन क्यों किया
जाता है? वास्तव में,
यह माना जाता है
कि व्रती के स्वास्थ्य की
सुरक्षा के लिए छठ
के पहले दिन कद्दू,
लौकी की सब्जी और
चना दाल का सेवन
करना चाहिए। यह स्वास्थ्य के
लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
कद्दू में कौन-कौन
से पोषक तत्व होते
हैं?
कद्दू में एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन
A, E और C की प्रचुरता होती
है। इसके साथ ही,
इसमें फैटी एसिड भी
अच्छी मात्रा में मौजूद होता
है। यह एक उत्कृष्ट
इम्युनिटी बूस्टर भी है।
छठ पूजा, जिसे डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है, एक चार दिवसीय त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। वर्तमान में, यह पर्व देश और विदेश में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाने लगा है। छठ पूजा के अवसर पर घाटों पर विशेष चहल-पहल होती है। अनेक लोग पवित्र नदियों के किनारे और अपने घरों में इस पर्व को मनाते हैं। यह पूजा दिवाली के बाद कार्तिक मास के छठे दिन से प्रारंभ होती है और यह सूर्य देवता को समर्पित एक पवित्र उत्सव है, जिसमें उनकी विशेष आराधना की जाती है। इस दौरान भक्त अपने प्रियजनों की समृद्धि, सुख और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करते हैं।
यह महापर्व चार दिनों तक चलेगा
छठ पूजा की शुरुआत
आज, जिसे नहाय-खाय
कहा जाता है, से
हो चुकी है। आज
व्रती शुद्धता का पालन करते
हुए लौकी की सब्जी,
चने की दाल और
भात का सेवन कर
निर्जला उपवास की शुरुआत करेंगी।
इसके पश्चात 6 नवंबर तारीख को खरना, 7 नवंबर
को सायंकालीन अर्घ्यदान और 8 नवंबर को
प्रातःकालीन अर्घ्य के बाद पारण
होगा। इसी के साथ
इस महापर्व का समापन भी
होगा।
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