भाद्रपद
शुक्ल चतुर्थी पर रवि योग
व स्वाति नक्षत्र के साथ विभिन्न
योग संयोग के बीच मंगलवार
को गणेश चतुर्थी का
पर्व मनाया जाएगा। घर-घर गणेश पूजन होगा।
द्वार-द्वार गणेशजी की पूजा की
जाएगी। मोती डूंगरी गणेशजी
के दर्शनों को लिए शहर
उमड़ेगा। इससे पहले आज
सिंजारा मनाया जा रहा है।
गणेशजी महाराज को मेहंदी अर्पित
की जाएगी।
गणेश चतुर्थी पर रवि योग,
श्रीवत्स योग व ध्वज
(केतु) योग के साथ
स्वाती नक्षत्र रहेगा। जगतपुरा, प्रतापनगर स्थित कैर
के बालाजी के ज्योतिषाचार्य पंडित
मुकेश शर्मा ने बताया कि मंगलवार को
मध्यान व्यापिनी चतुर्थी होने से गणेश
चतुर्थी मनाई जाएगी। गणेश
पूजन के लिए श्रेष्ठ
समय वृश्चिक लग्न सहित मध्यान
काल रहता है, जो
सुबह 11 बजकर 08 मिनट से दोपहर
1 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।
इस बीच वृश्चिक लग्न
सुबह 11.08 बजे से दोपहर
1.01 बजे तक रहेगा।
ये
बन रहे संयोग
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गणेश चतुर्थी पर रवियोग दोपहर
1.48 बजे तक रहेगा। ध्वज
(केतु) योग दोपहर 1.48 बजे
तक रहेगा, इसके बाद अगले
सूर्योदय तक श्रीवत्स योग
रहेगा। कुमार योग दोपहर 1.48 से
अगले सूर्योदय तक रहेगा। अंगारक
योग पूरे दिन रहेगा।
शास्त्रों में गणेश पूजन
का समय मध्याह्न काल
बताया गया है।
गणेश पूजन
समय
मध्याह्न काल — सुबह 11:08 से दोपहर 1:33 बजे
तक
वृश्चिक लग्न — सुबह 11:08 से दोपहर 1:01 बजे
तक
चर, लाभ, अमृत का
चौघड़िया — सुबह 9.19 बजे से दोपहर
1.51 बजे तक
शुभ का चौघड़िया — दोपहर
3.22 बजे से शाम 4.53 बजे
तक
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