विवाह योग्य बिटिया की शादी में अनावश्यक विलंब के कारण
माता-पिता का चिंतित होना स्वाभाविक है। ज्योतिषीय कारण जातक की शादी में
विलंब के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी होते हैं। यदि बिटिया की शादी तय
होने में बार-बार रुकावट आ रही हो तो शादी से संबंधित बाधक ग्रह-योगों के
उपाय करने से शादी के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा होकर शीघ्र उत्तम घर व
वर मिलने में मदद मिलती हैं।
कुंडली में विवाह का विचार
मुख्यत
सातवें भाव, सप्तमेश, लग्नेश, शुक्र एवं गुरु की स्थिति को ध्यान मे रखकर
किया जाता है। सप्तम भाव इसलिए, क्योंकि कुंडली में विवाह से संबंधित भाव
यही है। सप्तमेश को देखना इसलिए आवश्यक है क्योंकि वही इस भाव का स्वामी
होगा। कन्या की कुंडली में गुरु की स्थिति प्रमुख रूप से विचारणीय होती है
क्योंकि उनके लिए गुरु पति का स्थायी कारक है। लग्नेश का सप्तमेश एवं
पंचमेश के साथ संबंध भी विवाह को प्रभावित करता है। विवाह संबंधी प्रश्नों
में लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली और नवमांश कुंडली तीनों से ही विचार करना
चाहिए। जन्म कुंडली मे कुछ ऐसे योग होते हैं, जो जातिका के विवाह में विलंब
का कारण बनते हैं।
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