आपके भावी जीवन साथी की जन्म कुंडली में यदि आपके अनुकूल ग्रह स्तिथियां
हों तभी प्रेम विवाह की सोचें। इससे दाम्पत्य जीवन पूरी तरह सफल और सुखी ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
रहेगा। वहीं ग्रहों की अनदेखी के साथ विवाह करना दाम्पत्य जीवन में क्लेश
और मनमुटाव को न्योता देना है।
ऐसे में प्रेम विवाह होगा सफल...
दोनों की राशियां एक दूसरे से समसप्तक हों या एक से अधिक
ग्रह समसप्तक हों। चंद्रमा के एक-दूसरे की कुंडली में समसप्तक होने पर
वैचारिक तालमेल उत्तम रहता है।
दोनों के शुभ ग्रह समान भाव में हों यानी एक की कुंडली में शुभ
ग्रह यदि लग्न, पंचम, नवम या केंद्र में हों और दूसरे के भी इन्हीं भावों
में हों।
दोनों के लग्नेश और राशि स्वामी एक ही ग्रह हों। जैसे एक की
राशि मीन हो और दूसरे की जन्म लग्न मीन होने पर दोनों का राशि स्वामी गुरु
होगा।
एक का सप्तमेश जिस राशि में हो वही दूसरे की राशि हो या दोनों
का राशि स्वामी एक ही ग्रह हो जैसे- मेष-वृश्चिक (मंगल), वृष-तुला (शुक्र),
मिथुन- कन्या (बुध) इन उत्तम तालमेल से दाम्पत्य जीवन में आने वाली कई
परेशानियां अपने आप दूर हो जाती हैं।
दोनों के लग्नेश, राशि स्वामी या सप्तमेश समान भाव में या एक दूसरे के
सम-सप्तक होने पर रिश्तों में प्रगाढ़ता और प्रेम भावना प्रदान करेंगे।
एक के सप्तम भाव में जो राशि हो वही दूसरे की नवमांश कुंडली का लग्न हो या वर/वधु के सप्तमेश की नवमांश राशि दूसरे की चंद्र राशि हो।
सप्तम और नवम भाव में राशि परिवर्तन हो तो शादी के बाद भाग्योदय होता है। आगे पड़े ...
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