योग्यता और अनुभव के अनुसार एक अच्छी नौकरी अथवा रोज़गार की अभिलाषा हर मनुष्य की होती है। इसके लिए वह प्रयास भी करता है परन्तु कई बार अथक प्रयासों के बावजूद भी अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाती है। ऐसे में देवों में सर्वश्रेष्ठ इस देव की मन से आराधना करने से रोजगार की कहीं कोई कमी नहीं रहती- ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
किसी मनुष्य की जन्म कुंडली में नौकरी का योग है अथवा स्व रोज़गार का, इस बात की जानकारी कुंडली के अध्ययन से की जा सकती है। वहीं तंत्र शास्त्र में दिए गए उपायों को करके नौकरी अथवा रोज़गार का सपना साकार किया जा सकता है।
रोज़गार प्राप्त करने के इच्छुक बेरोजगारों को प्रत्येक शनिवार के दिन मारुति नंदन हनुमानजी की उपासना करके सुन्दरकाण्ड का पाठ अवश्य करना चाहिए। हनुमानजी के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाकर लाल चन्दन अथवा मूंगा की माला की सहायता से एक सौ आठ बार कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहीं होय तात तुम पाहीं। मन्त्र का जाप करना चाहिए।
कार्य सिद्ध होने पर शनिवार के दिन सवा किलो बूंदी के लड्डू का भोग लगाकर वितरित कर देना चाहिए। घर पर भी प्रतिदिन इस मन्त्र का जाप करते रहने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है। किसी नौकरी हेतु साक्षात्कार के लिए पूरी तैयारी करना बहुत आवश्यक है।
यदि लाल चन्दन की माला से ग्यारह बार श्री गणेशजी की प्रतिमा अथवा चित्र के समक्ष ॐ वक्र्तुण्डाय हुं मन्त्र का जाप करके शुद्ध चित्त भाव से प्रार्थना की जाये तो बेरोजगारी की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
श्री गणेशजी की आराधना करते समय भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी देव का ध्यान भी अवश्य करना चाहिए। हनुमान जी की उपासना में उनके किसी मंत्र का विधिवत जप अथवा हनुमान चालीसा, बजरंगबाण, सुंदरकांड या रामायण का पाठ और इसका सामर्थ्य या समय न होने पर पूजन किया जा सकता है।
हनुमान जी को गेंदा, गुलाब, कमल एवं सूर्यमुखी के पुष्प, तुलसीपत्र, सिन्दूर, लाल चंदन, ऋतुफल, चूरमा, गुड-चना, केला, शहद-मुनक्का, लाल लंगोटे एवं लाल ध्वजा प्रिय है। तुलसी पत्र पर रामनाम लिख कर चढ़ाने से हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
उपासना के दिनों में लाल वस्त्र धारण कर, लाल वस्त्र का ही आसन व अन्य प्रयोग के वस्त्र आदि लाल ही प्रयोग करें। मनसा, वाचा, कर्मणा शुद्धि का पूरा ध्यान रखें। पवित्रतापूर्वक पूजन, मन लगा कर जप, प्रेमभाव से पाठ एवं प्रार्थना करने के साथ दिन में एक बार फलाहार करना चाहिए। ‘ब्रह्मचर्य’ का पालन करना अनिवार्य है।
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