इसी
के साथ नवमी तिथि को दुर्गा देवी की आराधना तंत्र विधा में सफलता देती है।
दशमी को प्रतिशोध वाले कार्य और एकादशी को विशेषरूप से दान पुण्य व्रत का
बड़ा महत्त्व है। इस तिथि को कोई काम करने से भूख से सम्बंधित दोष पैदा
होते हैं। एकादशी को हमेशा दूसरे जीवों का खिलाना चाहिए। द्वादशी को विष्णु
भगवान की पूजा का बड़ा महत्त्व है। त्रयोदशी को विवाह मुहुत्र्त नहीं करना
चाहिए। इसके स्वामी कामदेव होने की वजह से वधु में कामुकता के विचार
ज्यादा आते हैं और इस तिथि की अद्र्धरात्रि में वशीकरण मंत्र जप बडे
सिद्विदायक होते है। चर्तुदशी अमावस्या के पहले वाली में पितरों की पूजा का
विशेष महत्त्व है। पितरों की पूजा इसी तिथि को करनी चाहिए और पूर्णिमा सभी
कार्यो में सफलता देने वाली होती है। ये भी पढ़ें - यह संकेत बताते है आने वाला है बुरा समय, ऐसे पहचाने
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