भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं, क्योंकि यह दिन
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिवस माना जाता है। इस साल 15 अगस्त, गुरूवार को
जन्माष्टमी पर्व मनाया जा रहा है। इसी कडी में आज आपके लिए भगवान श्रीकृष्ण
की 16,000 पत्नियों के बारे में बताने जा रहे है। इस संबंध में कई कथाएं
प्रचलित हैं और लोगों में इसको लेकर जिज्ञासा भी है कि कृष्ण की 16,000
पत्नियां होने के पीछे राज क्या है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक सबसे पहले
कृष्ण ने रुक्मणि का हरण कर उनसे विवाह किया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बताया जाता है कि
एक दिन अर्जुन को साथ लेकर भगवान कृष्ण वन विहार के लिए निकले। जिस वन में
वे विहार कर रहे थे वहां पर सूर्य पुत्री कालिंदी, श्रीकृष्ण को पति रूप
में पाने की कामना से तप कर रही थी। कालिंदी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए
श्रीकृष्ण ने उसके साथ विवाह कर लिया। फिर एक दिन उज्जयिनी की राजकुमारी
मित्रबिन्दा को स्वयंवर से वर लाए। उसके बाद कौशल के राजा नग्नजित के सात
बैलों को एकसाथ नाथ कर उनकी कन्या सत्या से विवाह किया।
उसके बाद
उन्होंने कैकेय की राजकुमारी भद्रा से विवाह हुआ। भद्रदेश की राजकुमारी
लक्ष्मणा भी कृष्ण को चाहती थी, लेकिन परिवार कृष्ण से विवाह के लिए राजी
नहीं था तब लक्ष्मणा को श्रीकृष्ण अकेले ही हरकर ले आए। इस तरह कृष्ण की
आठों पत्नियां थी- रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा,
सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा।
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