क्या बिना कुंडली मिलान के भी विवाह संभव है? अधिकांश मामलों में कुंडली मिलान नहीं हो पाता। ऐसे में गुण मिलान अंक शास्त्र के अनुसार किया जा सकता है। ना केवल यूरोप वरन भारतीय मनीषियों के अनुसार भी प्रत्येक अंक अपने आप में खास होता है। दैनिक व्यवहार में भी यह देखा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कोई एक विशेष अंक महत्वपूर्ण होता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गुण मिलान का आधार
अंक शास्त्र में नामांक, मूलांक व भाग्यांक इन तीन प्रकार के अंकों से निर्णय लिया जाता है। नाम के अक्षरों के लघुतम योग को नामांक, जन्म दिनांक के योग को मूलांक व जन्म दिनांक, माह व वर्ष के योग को भाग्यांक कहा जाता है। अंग्रेजी के प्रत्येक अक्षर को एक अंक दिया गया है। वर व कन्या दोनों के नाम लिख कर पहले उनका नामांक जाना जाता है, फिर उन अंकों की प्रकृति के अनुरूप उनका मिलान कर तय किया जाता है कि यह विवाह सफल होगा या नहीं। इससे पहले अंकों के सवामी व राशि के बारे जानकारी लें।
1 अंक के स्वामी सूर्य व राशि सिंह है, 2 अंक के स्वामी चंद्रमा व राशि कर्क है, 3 व 7 अंक के स्वामी देवगुरु बृहस्पति है व इनकी राशि क्रमश: धनु व मीन है, 4 व 8 अंक के स्वामी शनि व राशि कुम्भ तथा मकर है। 5 अंक के स्वामी बुध व राशि मिथुन व कन्या दोनों हैं। इसी प्रकार 6 अंक के स्वामी शुक्र व राशि वृष तथा तुला है व 9 अंक के स्वामी मंगल व राशि मेष व वृश्चिक हैं। इन अंकों के तत्व व गुणों की चर्चा करें तो एक, तीन व नौ अंक अग्नि-तत्व प्रधान व दैवीय गुण वाले, दो व सात जल तत्व व भावनात्मक गुण प्रधान, चार व पांच अंक वायु तत्व व बौद्धिक गुण वाले, छह व आठ पृथ्वी तत्व व व्यावहारिक गुण वाले होते हैं और इन जातकों की लगभग यही प्रकृति व गुण होते हैं।
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