वर्तमान में घरों में बिल्ली पालने का शौक बढ़ता जा रहा है। तंत्र-मंत्र
की साधना में बिल्ली को काली शक्ति का प्रतीक मानते हुए उसकी पूजा की जाती
है। वहीं बिल्ली का सम्बन्ध पितरों से भी माना गया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
घरों
में बिल्ली के आने पर लोग उसे अशुभ मानते हुए घर से भगाने की कोशिश करते
हैं। ज्योतिष एवं वास्तु की दृष्टि से घर में बिल्ली का बार-बार आना शुभ
नहीं माना गया है।
नारद पुराण के अनुसार जहां भी बिल्ली के
पैरों की धूल उड़ती है, वहाँ सकारात्मक ऊर्जा की हानी होती है जिससे उस
स्थान पर अशुभ प्रभाव बढ़ने लगते हैं।
जिस घर में अक्सर बिना कारण बिल्लियों का आना-जाना लगा रहता है, उस घर
में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं।
घर में
अचानक ही बिल्लियों का आना बढ़ जाने से घर के स्वामी अथवा मुखिया को
मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है तथा घर में कई तरह की समस्याएं आने
लगती हैं।
बिल्लियों के सम्बन्ध में यह भी माना जाता है कि
अगर भोजन करते समय बिल्ली आकर देखने लगे तो कष्ट होता है। इसी प्रकार
बिल्ली द्वारा घर में मल-मूत्र का त्याग करने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता
है।
कहा जाता है कि दूसरे प्राणियों की तुलना में बिल्ली की छठी
इन्द्री अधिक सक्रिय होती है। इस वजह से बिल्ली को भविष्य में होने वाली
किसी भी अशुभ घटना का पूर्वाभास हो जाता है, ऐसी स्थिति में बिल्ली स्थान
परिवर्तन करके दूसरी जगह पलायन कर जाती है।
जो लोग अपने
घरों में बिल्ली पालते हैं उन्हें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि अगर उनकी
पालतू बिल्ली घर छोड़ कर अचानक चली गयी है तो यह भविष्य में घटने किसी
अशुभ घटना का संकेत हो सकता है।
बिल्ली पालने अथवा बिल्ली के आने-जाने से अगर
घर-परिवार में किसी तरह के अशुभ संकेत या परिणाम नज़र आ रहे हों तो उससे
बचाव के लिए भगवान सत्यनारायण जी की पूजा या हवन अनुष्ठान कराना चाहिए।
पीपल के वृक्ष पर जल चढाने और दीपक प्रज्वलित करने से भी बिल्ली के कारण होने वाले अशुभ परिणामों से छुटकारा मिल सकता है।
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