जन्मपत्री
मिलान में मनुष्य-राक्षस दोष, भ्रकुट दोष, नवम पंचम दोष हो, द्विदादर्श,
वैर योनि और नाड़ी दोष हो लेकिन राशियों में आपस में मित्रता हो तो दोष
स्वत: ही समाप्त हो जाते है ऐसी में विवाह शास्त्र सम्मत है।
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में सीताजी का विवाह हुआ था। ये भी पढ़ें - नौकरी पाने के अचूक और सरल उपाय
वैवाहिक
जीवन में उन्हें अनेक कष्ट झेलने पडे अत: वाल्मिकी ऋषि ने इस नक्षत्र को
विवाह के लिए शुभ नहीं माना। अत: विवाह में इस नक्षत्र को टाल देना चाहिए।
यदि बृहस्पति सिंह राशि में विचरण कर रहे हो तो गोदावरी नदी के
उत्तरी तट से भागीरथी के दक्षिणी तट तक तथा सिंधु नदी तक के क्षेत्र में
विवाह कार्य वर्जित बताए गए है।
दो सगी बहनों का, दो सगे भाइयों का या भाई बहनों का एक संस्कार
छह मास में साथ ही नहीं करना चाहिए। लड़के-लड़की दोनों विवाह के योग्य हो
तो पहले लड़की का विवाह करे बाद में पुत्र का।
पं. श्रीकृष्ण शर्मा
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