शास्त्रों में रुद्राक्ष को भगवान शिव का आंसू बताया गया
है। धरती पर इसे सबसे पवित्र धातु भी बताया गया है। रुद्राक्ष एकमुखी से
लेकर चौदह मुखी तक होते हैं| पुराणों में प्रत्येक रुद्राक्ष
का अलग-अलग महत्व और उपयोगिता उल्लेख किया गया है। कुछ खास रुद्राक्ष को
धारण करने से सभी ग्रह अनुकूल होने लगते हैं और आपके जीवन में सकारात्मक
परिवर्तन आने लगते हैं।
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एकमुखी रुद्राक्ष
एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात रुद्र
स्वरूप है। इसे परब्रह्म माना जाता है। सत्य, चैतन्यस्वरूप परब्रह्म का
प्रतीक है। साक्षात शिव स्वरूप ही है। इसे धारण करने से जीवन में किसी भी
वस्तु का अभाव नहीं रहता। लक्ष्मी उसके घर में चिरस्थायी बनी रहती है।
चित्त में प्रसन्नता, अनायास धनप्राप्ति, रोगमुक्ति तथा व्यक्तित्व में
निखार और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
द्विमुखी रुद्राक्ष
शास्त्रों
में दोमुखी रुद्राक्ष को अर्द्धनारीश्वर का प्रतीक माना जाता है।
शिवभक्तों को यह रुद्राक्ष धारण करना अनुकूल है। यह तामसी वृत्तियों के
परिहार के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। इसे धारण करने से मानसिक शांति प्राप्त
होती है। चित्त में एकाग्रता तथा जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और पारिवारिक
सौहार्द में वृद्धि होती है। व्यापार में सफलता प्राप्त होती है।
स्त्रियों के लिए इसे सबसे उपयुक्त माना गया है|
तीनमुखी रुद्राक्ष
यह रुद्राक्ष अग्निस्वरूप माना गया है।
सत्व, रज और तम- इन तीनों यानी त्रिगुणात्मक शक्तियों का स्वरूप यह भूत,
भविष्य और वर्तमान का ज्ञान देने वाला है। इसे धारण करने वाले मनुष्य की
विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों का दमन होता है और रचनात्मक प्रवृत्तियों का उदय
होता है। किसी भी प्रकार
की बीमारी, कमजोरी नहीं रहती। व्यक्ति क्रियाशील रहता है। यदि किसी की
नौकरी नहीं लग
रही हो, बेकार हो तो इसके धारण करने से निश्चय ही कार्यसिद्धी होती है।
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